नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी और दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना के बीच विवाद खत्म होने की कुछ उम्मीद दिखाई दे रही है। राजधानी के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने विदेश जाने के लिए 'सैद्धांतिक' रूप से मंजूरी दे दी है। यात्रा को लेकर खर्च पर लेकिन अभी भी कुछ साफ नहीं हुआ है कि इस यात्रा का खर्च कौन देगा। शुक्रवार को उपराज्यपाल के कार्यलय से एक प्रेस नोट जारी कर इसकी पुष्टि की गई है, जिसमें मनीष सिसोदिया और उनके सचिव और सचिव (शिक्षा) के विदेश दौरे की मंजूदी दे दी गई है।
दरअसल, दिल्ली के स्कूलों के शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड जाने का प्रस्ताव उपराज्यपाल के सामने पेश किया गया था। इस प्रस्ताव को उपराज्यपाल ने पास कर दिया है लेकिन अब खर्चें को लेकर मामला अटक गया है। इस संबंध में उपराज्यपाल की ओर से कहा गया है कि प्रस्तावित दौरे के लिए सैद्धांतिक रूप से मंजूरी और अन्य कोडल औपचारिकताओं को पूरा करने के ऊपर सहमति बन गई है।
हालांकि, उपराज्यपाल की ओर से सिसोदिया के भेजे प्रस्ताव में कुछ संदेह जताया गया है। एलजी की ओर से कहा गया है कि इस प्रस्ताव में ये स्पष्ट नहीं है कि यात्रा का खर्च कौन देगा। इस यात्रा का खर्च सरकार द्वारा कहन किया जाएगा या फिर आयोजक द्वारा।
बताया जा रहा है कि प्रस्ताव में स्पष्टता का अभाव है कि डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का खर्च कौन वहन करेगा। प्रस्ताव के एक अंश में लिखा गया है कि डिप्टी सीएम के दौरे का सारा खर्च टीईएसओएल द्वारा वहन किया जाएगा और सरकार पर इसके खर्च का कोई बोझ नहीं होगा। इसके बाद एक अन्य जगह पर यात्रा के खर्च को लेकर लिखा गया है कि यात्रा का सभी खर्च उपमुख्यमंत्री द्वारा जीएडी, जीएनसीटीडी द्वारा वहन किया जाएगा।
इन दोनों बातों में विरोधाभास के बीच उपराज्यपाल ने यात्रा की मंजूरी दे दी है। बता दें कि आम आदमी पार्टी और उपराज्यपाल को स्कूलों और शिक्षकों के मुद्दे पर अक्सर आमने-सामने देखा गया है।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार लगातार एलजी पर आरोप लगाती रही है कि उन्होंने सरकार के भेजे प्रस्ताव को पास नहीं किया है। शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड दौरे को लेकर दोनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप अक्सर देखा गया है। हालांकि, उपराज्यपाल ने अपने ऊपर लगे इन आरोपों से साफ इनकार किया है।