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‘नीट-यूजी’ के भौतिकी के प्रश्न पत्र में ‘‘त्रुटि’’ को लेकर प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र

By भाषा | Updated: December 25, 2021 16:34 IST

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कोटा (राजस्थान), 25 दिसंबर एक सेवानिवृत्त व्याख्याता (लेक्चरर) ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक खुले पत्र में दावा किया है कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट)-यूजी 2021 की परीक्षा के दौरान भौतिक विज्ञान के एक प्रश्न का हिंदी में ‘‘गलत अनुवाद’’ किए जाने से हजारों छात्रों का भविष्य दांव पर लग गया है।

भौतिक विज्ञान के सेवानिवृत्त व्याख्याता अजीत सिंह बांठिया ने आरोप लगाया कि ‘प्रत्यावर्ती धारा‘ पर गलत तरीके से प्रश्न तैयार करके एनटीए ने हिंदी माध्मय के विद्यार्थियों के साथ अन्याय किया।

प्रश्न के अंग्रेजी संस्करण में ‘एम्प्लीट्यूड ऑफ करंट’ शब्दों का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन हिंदी संस्करण में केवल ‘धारा’ शब्द का इस्तेमाल किया गया था और ‘एम्प्लीट्यूड यानी आयाम’ शब्द छोड़ दिया गया।

बांठिया ने कहा कि इसके कारण छात्रों ने 'धारा के वर्ग माध्य मूल मान' को मानक मान मानकर इसे हल किया।

इस बीच, कोटा में हिंदी भाषा के उम्मीदवारों ने प्रश्न के हिंदी संस्करण की समीक्षा की मांग करते हुए ‘नीट(यूजी) 2021 हिंदी माध्यम परीक्षार्थी संघर्ष मोर्चा’ का गठन किया है।

छात्रों का कहना है कि इस त्रुटि से उन्हें पांच अंकों का नुकसान होगा, जो कड़ी प्रतिस्पर्धा वाली परीक्षा में अहम भूमिका निभाएंगे। उन्होंने दावा किया कि गलत तरीके से तैयार किए गए प्रश्न के कारण हिंदी माध्यम के दो लाख परीक्षार्थियों को नुकसान होगा और इनमें से कई उम्मीदवारों को सरकारी कॉलेज में दाखिला नहीं मिल पाएगा।

यह परीक्षा नौ सितंबर को हुई थी। पिछले महीने ‘ऑप्टिकल मार्क रिकग्निशन’ प्रपत्र जारी होने के बाद, छात्रों ने एनटीए से इस संबंध में शिकायत की थी और उत्तर कुंजी में सुधार की मांग की थी, लेकिन इस पर गौर नहीं किया गया।

छात्रों ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने 30 नवंबर को एनटीए के ‘‘धोखाधड़ी वाले हलफनामे’’ के आधार पर मामले को खारिज कर दिया।

कोटा के विभिन्न कोचिंग सेंटर में भौतिकी के कई शिक्षकों ने आरोप लगाया कि एनटीए के संयुक्त निदेशक बिनोद कुमार साहू द्वारा हलफनामे में प्रस्तुत 'तथ्य' एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद)(पृष्ठ संख्या 236,251,264) और एच.सी. वर्मा (खंड-द्वितीय, पृष्ठ संख्या 318) द्वारा भौतिकी की अवधारणाओं जैसे मानक पाठ्य के विपरीत हैं।

वर्मा आईआईटी कानपुर से सेवानिवृत्त भौतिकी के प्रोफेसर हैं और इस विषय में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

कोटा के एक कोचिंग संस्थान में भौतिक विज्ञान के विशेषज्ञ ब्रजेश माहेश्वरी ने कहा, ‘‘हिंदी और अंग्रेजी संस्करण में प्रश्न का अर्थ अलग-अलग है और इसलिए उनके अलग-अलग उत्तर होने चाहिए। दिलचस्प बात यह है कि इस प्रश्न का कई अन्य भाषाओं में भी अनुवाद किया गया था, लेकिन प्रश्न के केवल हिंदी संस्करण में 'आयाम' शब्द को हटा दिया गया था। मैं छात्रों की मांगों का पूर्ण समर्थन करता हूं और न्याय के लिए उनके साथ खड़ा हूं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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