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यदि यहां घुटन महसूस होती है तो भारत छोड़ दो: आरएसएस नेता ने फारूक अब्दुल्ला से कहा

By भाषा | Updated: December 6, 2021 21:38 IST

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नयी दिल्ली, छह दिसंबर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने सोमवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के उस बयान को लेकर उन पर निशाना साधा जिसमें उन्होंने कहा था कि जम्मू कश्मीर के लोगों को अपना हक वापस पाने के लिए आंदोलनकारी किसानों की तरह ‘‘बलिदान’’ करना होगा। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि अब्दुल्ला शांति की जगह हिंसा पसंद करते हैं।

कुमार ने यह भी कहा कि अगर अब्दुल्ला को भारत में घुटन महसूस होती है, तो उन्हें अपनी पसंद के दुनिया के किसी अन्य हिस्से में रहने के लिए देश छोड़ देना चाहिए।

आरएसएस नेता ने केंद्रशासित प्रदेश के लोगों के कथित दमन के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी में विरोध प्रदर्शन करने पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की भी आलोचना की और कहा कि "झूठ बोलना उनके लिए एक फैशन बन गया है।"

उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर के दोनों नेताओं को “उकसाने की राजनीति” बंद कर देनी चाहिए और देश की एकता तथा अखंडता को बनाए रखने में बाधा बनना बंद कर देना चाहिए।

कुमार ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में अब्दुल्ला की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कहा, "उनका बयान स्पष्ट रूप से दिखाता है कि उन्हें हिंसा से प्यार है, शांति से नहीं।"

आरएसएस नेता ने कहा, "फारूक अब्दुल्ला ने पहले कहा था कि जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली के लिए चीन की मदद ली जाएगी। क्या हम इसे स्वीकार करेंगे? कभी नहीं। यह बकवास है। अगर उन्हें यहां घुटन महसूस होती है, तो वह जहां चाहें अरब या अमेरिका चले जाएं। उनकी पत्नी इंग्लैंड में रहती हैं। वह अपनी पत्नी के साथ रहने के लिए वहां जाने के बारे में भी सोच सकते हैं। वह खुश रहेंगे।"

अब्दुल्ला ने रविवार को कहा था कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपना राज्य का दर्जा और विशेष दर्जा वापस पाने के लिए वैसा ही "बलिदान" करना पड़ सकता है, जैसा कि नए कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसानों ने किया।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की 116वीं जयंती के अवसर पर श्रीनगर के नसीमबाग में उनके मकबरे पर पार्टी की युवा शाखा के सम्मेलन को संबोधित करते हुए अब्दुल्ला ने यह भी कहा था कि उनकी पार्टी हिंसा का समर्थन नहीं करती है।

मुफ्ती ने केंद्रशासित प्रदेश के लोगों के कथित दमन के विरोध में सोमवार को यहां जंतर मंतर पर धरना दिया था और कहा था कि निर्दोषों की हत्या तत्काल रोकी जानी चाहिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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