पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मंगलवार को 114वीं जयंती है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में हुआ था। लेकिन जब वे डेढ़ साल के थे तभी पिता हजारीलाल शास्त्री का निधन हो गया और उनकी माता रामदुलारी शास्त्री अपने मायके यानी लाल बहादुर शास्त्री के ननिहाल मिर्जापुर जिले में आकर में बस गईं। यहां से शुरू हुआ देश को जय जवान जय किसान का नारा देने वाले नेता का सफर।
लाल बहादुर शास्त्री के जीवन की कई बातें जानने के बाद आश्चर्य होगा। कई बार एक भारतीय होने पर गर्व होगा। पढ़िए उनके जीवन से जुड़ी कुछ बेहद दुर्लभ बातें-
- उत्तर प्रदेश के वाराणसी, सोनभद्र और इलाहाबाद से सटे जिले मिर्जापुर की हालत तब ऐसी थी लाल बहादुर शास्त्री को स्कूल जाने के लिए एक नदी से होकर जाना पड़ता था। लेकिन उस नदी में पूल नहीं था। इसलिए वे नदी तैर कर अपने स्कूल तक पहुंचते थे। उन परिस्थितियों में उन्होंने पढ़ाई की।
- उनकी पढ़ाई का सफर शुरुआत में कठिनाई भरा नहीं था। जब उनकी स्कूल की पढ़ाई खत्म हुई तो मिर्जापुर में ना केवल कॉलेजों की कमी थी, बल्कि वह मिर्जापुर में रहकर आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख सकते थे। इसलिए उन्हें वाराणसी में अपने चाचा के घर जाना पड़ा। वहां उन्होंने काफी मेहनत से हरिश्चंद हाईस्कूल और फिर काशी विद्यापीठ में पढ़ाई की।
- अभी वे 17 साल के ही हुए थे कि देश में आजादी का आंदोलन उन्हें अपनी ओर खींचने लगा। एक आंदोलनकारी घटना में शामिल होने के लिए उन्हें पुलिस ने जेल में बंद कर दिया। लेकिन बाद में उनके नाबालिग होने के चलते उन्हें छोड़ दिया गया। लेकिन बाद के दिनों में वे पूरे तन-मन से वह आजादी के अंदोलन में कूद गए। इसका नतीजा यह हुआ कि वह करीब नौ सालों तक जेल में गुजारे।
- जेल का सिलसिला ऐसा हुआ कि उनकी पत्नी को उनके स्वास्थ्य की चिंता सताने लगी। एक दिन उनकी पत्नी ललिता शास्त्री उनके लिए जेल में मिलने के दौरान पुलिस से छिपाकर आम ले आईं। इससे शास्त्री जी इस कदर नाराज हुए कि उन्होंने अपनी पत्नी के खिलाफ ही धरना दे दिया।
- तमाम जद्दोजहद के बाद जब भारत आजाद हुआ तो लाल बहादुर शास्त्री को अहम पद मिले। जब पं. जवाहर लाल नेहरू का निधन हुआ तो पीएम पद के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार लाल बहाहुर शास्त्री ही थे। साल 1964 में वह देश के पीएम बने। लेकिन 1965 में ही पाकिस्तान से युद्ध शुरू हो गया। इससे देश को भारी नुकसान हुआ। तभी देश में बड़ा सूखा पड़ गया। इसी बीच लाल बहादुर शास्त्री ने देशभर को एक दिन के उपवास लिए कहा। इसके लिए उन्होंने खुद भी एक दिन का उपवास रखा और 'जय जवान जय किसान' का नारा दिया।
- तब देश में इतने भारी आर्थिक नुकसान हुए थे कि पीएम शास्त्री ने उस समय अपना वेतन लेने मना कर दिया था। एक दफा उनकी धोती पुरानी होकर फट गई तो लोगों में संदेश देने के लिए उन्होंने अपनी फटी-पुरानी धोती को सिलकर और साफकर के पहननी शुरू की।