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Jammu: सरकार के दमनकारी कदमों के बाद भी लद्दाखी झुकने को तैयार नहीं, कहा आंदोलन जारी रहेगा

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: April 7, 2024 14:07 IST

हालांकि केंद्र सरकार के इशारों पर लद्दाख के स्‍थानीय प्रशासन ने लद्दाखियों के शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने की कोशिश की है और उन्‍हें मजबूर अपना बार्डर मार्च स्थगित कर देना पड़ा है

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ठळक मुद्देलेह एपेक्स बॉडी और क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैंलेह में 21 दिन के अनशन के बाद 10 दिन तक महिलाएं अनशन पर रहीं हैंइस दौरान महिलाओं के आने और युवाओं के जाने में अंतराल था

हालांकि केंद्र सरकार के इशारों पर लद्दाख के स्‍थानीय प्रशासन ने लद्दाखियों के शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने की कोशिश की है और उन्‍हें मजबूर अपना बार्डर मार्च स्‍थगित कर देना पड़ा है पर उनका कहना था कि न वे झुकेंगें और न ही आंदोलन त्‍यागेंगें। ऐसे में यह स्‍पष्‍ट संकेत है कि आने वाले दिनों में लद्दाख में आंदोलन हिंसक भी हो सकता है।

जानकारी के लिए लेह एपेक्स बॉडी और क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। लेह में 21 दिन के अनशन के बाद 10 दिन तक महिलाएं अनशन पर रहीं हैं। इस दौरान महिलाओं के आने और युवाओं के जाने में अंतराल था। पिछले एक महीने से लद्दाखी यहां प्रार्थनाएं, दुआएं करते हुए अनशन पर बैठे हुए हैं।

6 अप्रैल को प्रशासन ने दमनकारी नीति अपनाते हुए जिला मजिस्ट्रेट ने लेह जिले में धारा 144 लागू करने के आदेश दिए। इसके तहत किसी भी जुलूस, रैली या मार्च पर रोक लगाने के आदेश जारी किए गए थे।  प्रशासन की ओर से जारी आदेश में कहा गया, जिला मजिस्ट्रेट से बिना आदेश लिए लेह में बयानबाजी, रैली या मार्च करने की अनुमति नहीं होगी। आदेश में आगे कहा गया कि अनुमति के बिना लाउडस्पीकर बजाने, लोगों को इकट्ठा करने की अनुमति नहीं होगी। दरअसल आज 7 अप्रैल को वांगचुक ने बार्डर चलो का आहवान किया था और प्रशासन को संदेह था कि यह मार्च माहौल को बिगाड़ सकता है।

सरकार के दमनकारी कदम पर सोनम वांगचुक कहते थे कि हम यहां सरकार को उनके किए वादे लद्दाख के संरक्षण की याद दिलाने बैठे हैं, मगर फिर भी हमें बताया जा रहा है कि हम जो गांधी जी के पद चिन्हों पर 7 अप्रैल को बार्डर मार्च करने जा रहे हैं, उसे लेकर सरकार कुछ ज्यादा ही कदम उठा रही है। गांव से जो गाड़ियां आएंगी, उसे रोकने की योजना बनाई जा रही है।

सोनम वांगचुक ने आरोप लगाया कि लद्दाख के संरक्षण अभियान में जो कार्यकर्ता हैं, उनको पुलिस कई ओर से थाने में बुलाकर डराया जा रहा है। कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने की धमकी जा रही है, अन्यथा बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा जा रहा है। पता नहीं इतना ज्यादा ओवर रिएक्शन क्यों हो रहा है. इससे तो और भी गलत प्रभाव पड़ सकता है।

सोनम वांगचुक ने कहा कि अगर लोगों को पकड़-पकड़ डराने का सिलसिला जारी रहता है तो हम भी सख्‍त कदम उठाएंगे। भारत में वादा तोड़ना कोई गलत काम नहीं है और अगर वादे याद दिला तो फिर धड़पकड़ अशांति होने लगती है। आप अशांति के नाम पर कुछ भी कर लें। हजारों लोग गांव से बिल्कुल शांतिपूर्वक तारीके से मार्च करने आ रहे हैं उन्हें डरा-धमका कर रोका जा रहा है। लोग अलग-अलग जगहों से भी लद्दाख आ रहे हैं, ऐसे में अगर उन्हें डराया और धमकाया जाए तो फिर माहौल बिगड़ भी सकता है।

वांगचुक ने संवाददाताओं से कहा कि मौजूदा स्थिति (लेह में) को देखते हुए यह सरकार पागल हाथी की तरह काम कर रही है। इसे राष्ट्रीय सुरक्षा या लोगों की भावनाओं और उनकी समस्याओं की कोई परवाह नहीं है। इसकी एकमात्र चिंता चुनाव जीतना है और यह हिंसा की कीमत पर भी लोगों को मार्च करने से रोक सकती है।

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