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केरल: पुलिस अत्याचार का विजयन ने किया खंडन, विपक्ष का सदन से बहिर्गमन

By भाषा | Updated: August 10, 2021 16:29 IST

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तिरुवनंतपुरम, 10 अगस्त केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने अट्टप्पडी में पुलिस द्वारा यातना देने के विपक्ष के आरोप को मंगलवार को खारिज कर दिया और कहा कि कानून प्रवर्तन करने वालों ने केवल कानून का पालन किया। अट्टप्पडी राज्य के सबसे पिछड़े जनजातीय गांवों में से है जहां हाल में एक जनजाति के प्रमुख और उसके बेटे को एक मामले के संबंध में गिरफ्तार कर लिया गया था।

कांग्रेस नीत विपक्ष यूडीएफ द्वारा राज्य विधानसभा में इस मुद्दे को जोरशोर से उठाने पर मुख्यमंत्री अधिकारियों के समर्थन में आए और कहा कि आजकल पुलिस के विरुद्ध गलत और मनगढ़ंत कहानियां प्रसारित करने का चलन हो गया है। उन्होंने विपक्ष को याद दिलाया कि उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि राज्य में प्राकृतिक आपदा के समय पुलिस राहत एवं बचाव कार्य करती है और कोविड महामारी से भी पुलिस ने मुकाबला किया।

विजयन ने विपक्ष के उस आरोप का भी खंडन किया जिसमें कहा जा रहा था कि जनजाति के मुखिया और उसके बेटे को पुलिस बलपूर्वक ले गई और इसमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का हाथ था। जनजातियों के लिए सरकार द्वारा किये गए काम का उल्लेख करते हुए विजयन ने कहा कि समुदाय के लोगों पर अत्याचार को रोकने और उन्हें आवश्यक विधिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए राज्य में एक प्रभावी व्यवस्था बनाई गई है।

विपक्षी दलों के गठबंधन संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने शून्यकाल के दौरान जब स्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस पेश किया तब विजयन ने कहा कि समुदाय के लोगों की शिकायत की जांच और तत्काल मामला दर्ज करने के लिए पुलिस को आदेश दे दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा, “पुलिस एक अपराध के बारे में मिली शिकायत के संबंध में कार्रवाई करने गांव में गई थी। कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए पुलिस द्वारा उठाया गया यह सामान्य कदम था।” पलक्कड़ जिले के अट्टप्पडी में जनजातीय क्षेत्र में शोलायुर के वट्टालक्की गांव में पुलिस ने रविवार को चोरियमूप्पन और उसके बेटे मुरुगन को गिरफ्तार किया था।

पुलिस ने गाय को घास खिलाने के संबंध में उनके पड़ोसी कुरुन्तचलम की शिकायत पर दोनों को गिरफ्तार किया था। इस मुद्दे पर सरकार और पुलिस की आलोचना करते हुए विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने कहा कि राज्य में ‘पुलिस राज’ कायम हो गया है। सदन के अध्यक्ष एम बी राजेश द्वारा प्रस्ताव के लिए अनुमति न देने पर यूडीएफ ने बाद में बहिर्गमन किया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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