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अमेरिकी अधिकारी ने कश्मीर में मानवाधिकार स्थिति को लेकर चिंता जताई, कहा- पत्रकारों का स्वतंत्र आवागमन और विधानसभा चुनाव होते नहीं देखा

By विशाल कुमार | Updated: March 3, 2022 11:22 IST

दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के लिए अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लु ने कहा कि ‘‘कश्मीर में मानवाधिकार स्थिति को लेकर चुनौतियां हैं। हमने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होते नहीं देखे हैं। हमने पत्रकारों का मुक्त आवागमन नहीं देखा है, बल्कि हमने कश्मीर घाटी में कुछ जाने माने पत्रकारों को हिरासत में लिए जाते देखा है।’’ 

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ठळक मुद्देअमेरिका के सहायक विदेश मंत्री ने कहा कि कश्मीर में मानवाधिकार स्थिति को लेकर चुनौतियां हैं।उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि सभी कश्मीरियों को गरिमा के साथ रहने का अधिकार है।उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि भारत सरकार सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए कुछ कदम उठा रही है।

वाशिंगटन: एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक ने कहा कि कश्मीर में मानवाधिकार स्थिति को लेकर चुनौतियां हैं। हालांकि, भारत सरकार कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए कुछ कदम उठा रही है। 

दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के लिए अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लु ने कहा कि ‘‘कश्मीर में मानवाधिकार स्थिति को लेकर चुनौतियां हैं। हमने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होते नहीं देखे हैं। हमने पत्रकारों का मुक्त आवागमन नहीं देखा है, बल्कि हमने कश्मीर घाटी में कुछ जाने माने पत्रकारों को हिरासत में लिए जाते देखा है।’’ 

लु ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि सभी कश्मीरियों को गरिमा के साथ रहने और भारतीय संविधान के तहत प्रदान सुरक्षा के साथ रहने का अधिकार है। हम इन प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए भारत को प्रोत्साहित करते रहना चाहते हैं।’’

बता दें कि, भारत ने पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था और इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था। 

लु ने निकट पूर्व, दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और आतंकवाद विरोधी मामलों पर सीनेट की विदेश मामलों की उप समिति के समक्ष कहा, ‘‘हमने देखा है कि भारत सरकार सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए कुछ कदम उठा रही है। प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) की कई भारतीय कश्मीरी नेताओं तक पहुंच है।’’ 

उन्होंने कहा कि हाल में कई कैबिनेट मंत्रियों ने कश्मीर में यात्राएं की हैं और मोबाइल फोन के कनेक्शन बहाल हो गए हैं। 

उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन कश्मीर में आतंकवादी खतरों समेत सुरक्षा हालात पर करीबी नजर रखे हुए है। 

लु ने कहा कि सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियों में पिछले दो साल में वास्तव में कमी आई है। उन्होंने कहा कि उन्होंने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के साथ बैठकें की हैं, जिनमें उन्होंने आतंकवादी समूहों के लिए अपनी सीमाएं बंद करने का श्रेय लिया है। 

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दो साल में घुसपैठ की दर में उल्लेखनीय कमी आई है। बहरहाल, भारत जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ के मामलों की जानकारी देता रहा है। पुलवामा में 2019 को हुए हमलों के बाद और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव के कारण पाकिस्तान ने सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए सकारात्मक कदम उठाए हैं। पुलवामा हमले में 40 भारतीय सुरक्षा कर्मियों की मौत हो गई थी।’’ 

कश्मीर भारत-पाकिस्तान संबंधों में विवाद की अहम वजह रहा है। पाकिस्तान का कहना है कि इस विवादास्पद मामले को सुलझाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हस्तक्षेप की आवश्यकता है, जबकि भारत का कहना है कि जम्मू-कश्मीर द्विपक्षीय मामला है। भारत का कहना है कि जम्मू-कश्मीर उसका अभिन्न हिस्सा ‘‘था, है और हमेशा रहेगा।’’ 

लु ने कहा कि भारत आतंकवादी संगठनों के खिलाफ अभियोग चलाने के लिए पाकिस्तान को प्रोत्साहित करता रहा है।

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