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कर्नाटक: 'सात्विक' मिड-डे मील विवाद के बीच शिक्षा विभाग के सर्वे में खुलासा, 80% छात्रों ने की खाने में अंडे की मांग

By सत्या द्विवेदी | Updated: January 27, 2023 15:15 IST

शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, "सात्विक" भोजन विवाद के बीच प्राथमिक और उच्च विद्यालय के 38.37 लाख से अधिक छात्रों ने अपने मध्याह्न भोजन में प्रोटीन स्रोत के रूप में अंडे को चुना।

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ठळक मुद्देकर्नाटक मिड-डे मील में छात्रों को पसंद अंडा80% छात्रों ने केले की जगह चुना अंडा शिक्षा विभाग ने जारी किए आंकड़े

बेंगलुरु: कर्नाटक में स्कूली छात्रों को मिड-डे मील में अंडे दिए जाने के फैसले के खिलाफ पिछले साल खूब हंगामा हुआ था। कुछ लोगों ने सरकार के फैसले के खिलाफ आंदोलन करने की घोषणा भी की। लेकिन अब जो रिपोर्ट सामने आई है,उससे यह साफ हो गया है कि छात्रों को मिड-डे मील में अंडे पसंद हैं। मिड-डे मील में करीब 80 फीसदी बच्चों ने केले और केले के विकल्प को दरकिनार करते हुए अंडे को चुना है। 

80 प्रतिशत बच्चों को पसंद अंडे

कर्नाटक सरकार ने कुपोषण से निपटने के लिए सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में छात्रों के लिए अंडे देने का फैसला किया था। कर्नाटक में कक्षा 1 से 8 में लगभग 38.37 लाख छात्र पढ़ रहे हैं, जिनमें से लगभग 80 प्रतिशत छात्रों ने अंडे की मांग की। शिक्षा विभाग के सर्वेक्षण के अनुसार, अन्य 2.27 लाख छात्रों ने सरकार से मूंगफली बार और केले उपलब्ध कराने के लिए कहा था। राज्य भर में अंडे चुनने वाले छात्रों में से 15 लाख 67 हजार बच्चे बेलगावी डिवीजन से, 8 लाख 65 हजार बेंगलुरु डिवीजन से, 8 लाख 33 हजार कलबुर्गी डिवीजन से और 5 लाख 70 हजार बच्चे मैसूरु डिवीजन हैं।

कुपोषण से लड़ने के लिए अंडे जरूरी- शिक्षा मंत्री

द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा, हमने यह सुनिश्चित करने के लिए सभी जिलों में मिड डे मील भोजन में अंडे दिए हैं कि कुपोषण की वजह से बच्चों की शिक्षा बाधित न हो। भोजन एक बहस का विषय है और इस पर सभी के अपने विचार हैं। अब कल्याण-कर्नाटक क्षेत्र से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने के बाद हमने बाकी जिलों में भी कुपोषण से लड़ने के लिए भोजन में अंडे को शामिल करने का फैसला किया है।

धार्मिक नेताओं ने किया था अंडे का विरोध 

पिछले साल सरकार के अंडे देने के फैसले का काफी विरोध हुआ था। धार्मिक नेताओं का कहना था कि मिड डे मील में अंडे देना शाकाहारी छात्रों के खिलाफ भेदभाव करने जैसा होगा। इसकी जगह अनाज और दालें देनी चाहिए।  

टॅग्स :मिड डे मीलकर्नाटकसरकारी स्कूल
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