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कावेरी कॉलिंग प्रोजेक्ट के लिए कितना धन एकत्र किया, कर्नाटक हाईकोर्ट ने जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन से पूछा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 7, 2020 19:30 IST

कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अभय ओका की अगुवाई वाली बेंच ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पहल करने के लिए किसानों से पैसा इकट्ठा करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने ईशा फाउंडेशन को एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है, साथ ही पूछा है कि फाउंडेशन से उक्त राशि किस तर‌ीके अर्ज‌ित की, ये भी बताएं।

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ठळक मुद्देनदी के कायाकल्प के बारे में जागरूकता पैदा करना एक अच्छा कारण है, लेकिन इसे लोगों को पैसे देने के लिए मजबूर करने की कीमत पर नहीं किया जाना चाहिए।आप किस अधिकार के तहत किसानों से पैसा इकट्ठा कर रहे हैं?

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन को यह बताने के लिए कहा कि उसने कावेरी कॉलिंग प्रोजेक्ट के लिए कितना धन एकत्र किया है।

 

कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अभय ओका की अगुवाई वाली बेंच ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पहल करने के लिए किसानों से पैसा इकट्ठा करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने ईशा फाउंडेशन को एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है, साथ ही पूछा है कि फाउंडेशन से उक्त राशि किस तर‌ीके अर्ज‌ित की, ये भी बताएं।

 

कोर्ट ने कहा, नदी के कायाकल्प के बारे में जागरूकता पैदा करना एक अच्छा कारण है, लेकिन इसे लोगों को पैसे देने के लिए मजबूर करने की कीमत पर नहीं किया जाना चाहिए। आप किस अधिकार के तहत किसानों से पैसा इकट्ठा कर रहे हैं? अदालत ने पूछा कि हलफनामा कहां है कि आपने लोगों को पैसे देने के लिए मजबूर नहीं किया है। अदालत ने कहा कि कावेरी कॉलिंग एक पंजीकृत संस्था नहीं था और धन एकत्र करने के लिए राज्य या केंद्र द्वारा अधिकृत नहीं है।

चीफ जस्टिस अभय ओका और जस्टिस हेमंत चंदागोदर की खंडपीठ ने जग्गी वासुदेव द्वारा संचालित फाउंडेशन की यह न स्पष्ट करने पर कि क्या राशि स्वेच्छा से एकत्र की जा रही है, ख‌िंचाई की। पीठ ने कहा "इस मुग़ालते में न रहें कि आप एक आध्यात्मिक संगठन हैं, इसलिए आप कानून से बंधे नहीं हैं।"

अदालत ने कर्नाटक सरकार की भी खिंचाई की, जो इस मामले में प्रतिवादी भी है, जब यह धन एकत्र किया जा रहा था तो राज्य चुप क्यों था। उच्च न्यायालय ने आधार का खुलासा करने के लिए भी कहा कि क्या कावेरी कॉलिंग एक ट्रस्ट है, जिसके लिए सरकार के वकील ने कहा कि यह एक आंदोलन था।

मामले में याचिकाकर्ता एवी अमरनाथ ने कहा, "मैंने कहा है कि पैसा इकट्ठा करने के लिए एक ट्रस्ट, सोसायटी या कंपनी होनी चाहिए लेकिन कावेरी कॉलिंग एक पंजीकृत संगठन नहीं है।" फाउंडेशन को मामले में अगली सुनवाई के दौरान 12 फरवरी तक जवाब देने के लिए कहा गया है।

 

कावेरी कॉलिंग एक अभियान है, जो कावेरी नदी पर केंद्रित है। ईशा फाउंडेशन का दावा है कि वह रैली फॉर द रिवर फॉर द रिवर की छतरी के नीचे कावेरी नदी के किनारे 242 करोड़ पेड़ लगाएगा, जो कि पहले एक ही फाउंडेशन द्वारा शुरू किया गया था।

 

सितंबर 2019 में याचिका दायर की गई थी जिसमें कावेरी कॉलिंग का समर्थन करने के कर्नाटक सरकार के फैसले पर सवाल उठाया गया था। अमरनाथ ने अपनी याचिका में सवाल किया था कि ईशा फाउंडेशन लोगों से 42 रुपये प्रति पेड़ दान देने के लिए क्यों कह रहा है।

 

"ईशा फाउंडेशन कावेरी नदी को बचाने के लिए 253 करोड़ पौधे लगाने की योजना बना रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ईशा जनता से प्रति पेड़ रोपण 42 / - रुपये एकत्र कर रही है। इसका मतलब है कि ईशा फाउंडेशन 10,626 रुपये की राशि एकत्र कर रहा है। याचिकाकर्ता ने दलील दी, "जनता का पैसा वसूलना बहुत परेशान करने वाला है।"

 

टॅग्स :कर्नाटकबीएस येदियुरप्पासद्गुरू जग्गी वासुदेव
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