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'हलाल' मीट विवाद के बीच कर्नाटक सरकार ने जारी किया आदेश, कहा, "वध से पहले जानवरों को बेहोश करना अनिवार्य होगा"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: April 3, 2022 20:27 IST

कर्नाटक के पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवा विभाग ने बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) को आदेश दिया है कि वो शहर के सभी बूचड़खानों और चिकन की दुकानों से यह सुनिश्चित कराए कि किसी भी जानवर के वध से पहले उन्हें अनिवार्य तौर पर बेहोश किया जाना आवश्यक है। आदेश के मुताबिक काटने से पहले पशुओं को बेहोश करने से जानवरों के मांस को कथित तौर पर हलाल नहीं माना जाएगा।

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ठळक मुद्देहलाल पशुवध की इस्लामिक प्रक्रिया का नाम है, जिसमें जानवर का वध रेतकर किया जाता हैवहीं हिंदू परंपरा में पशु मांस को हासिल करने के लिए उसे एक झटके में काट दिया जाता हैवध से पहले पशुओं को बेहोश करने के नियम के कारण मांस को हलाल नहीं माना जाएगा

बेंगलुरु: कर्नाटक के पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवा विभाग ने हलाल के जरिये पशुवध की प्रथा को कम करने के लिए बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) को आदेश दिया है कि वो शहर के सभी बूचड़खानों और चिकन की दुकानों से यह सुनिश्चित कराए कि किसी भी जानवर के वध से पहले उन्हें अनिवार्य तौर पर बेहोश किया जाना आवश्यक है।

जानवरों को वध से पहले बेहोश किये जाने को स्टनिंग कहते हैं और इस प्रक्रिया में किसी जानवर को वध करने से पहले या तो सिर पर मारकर या गैस या बिजली के झटके से बेहोश कर दिया जाता है। पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवा विभाग ने बेंगलुरु नगर निगम से कहा है कि बूचड़खानों और चिकन की दुकानों को लाइसेंस जारी करते समय ही इस तरह की सुविधा की भी जांच कर लें। कर्नाटक की बोम्मई सरकार का यह निर्देश ऐसे समय में आया है जब मुसलमान रमजान की तैयारी कर रहे हैं।

हालांकि सरकार द्वारा इसे नियमित शासनादेश का हिस्सा कहा जा रहा है लेकिन यह आदेश ऐसे समय में आया है जब विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे दक्षिणपंथी संगठन उगादी त्योहार के बीच राज्य में हलाल मांस के बहिष्कार की मुहिम चला रहे हैं।

हलाल पशुवध की इस्लामिक प्रक्रिया का नाम है, जिसमें जानवर का गला छुरी या किसी तेज धारदार हथियार से रेतकर काटा जाता है और मृत पशु के मांस का उपयोग तब किया जाता है जब उसके शरीर से सारा रक्त बाहर निकल जाता है।

वहीं हिंदू परंपरा में पशु मांस को हासिल करने के लिए उसे एक झटके में काट दिया जाता है। कर्नाटक सरकार द्वारा जारी किये गये आदेश के मुताबिक काटने से पहले पशुओं को बेहोश करने के नियम के कारण जानवरों के मांस को हलाल नहीं माना जाएगा।

इस मामले में बीते 1 अप्रैल को पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवाओं के उप निदेशक ने बेंगलुरु नगर निगम को एक चिट्ठी लिखी है। जिसमें जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम (स्लॉटर हाउस) नियम, 2001 का हवाला देते हुए कहा गया है कि नगर निगम जानवरों के वध से पहले उन्हें बेहोश करने के नियमों का सख्ती से पालन करवाये।

इसके अलावा पत्र में यह भी लिखा है कि विभाग को जनता से शिकायतें मिल रही हैं कि जानवरों की वध प्रक्रिया में सरकारी नियमों की अनदेखी की जा रही है। पत्र में नगर निगम को आदेश दिया गया है कि वो शहर के सभी बूचड़खानों और चिकन की दुकानों से यह सुनिश्चित कराएं कि वध से पहले जानवरों को अनिवार्य रूप से बेहोश किया जाए।

मालूम हो कि कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने उगादी के एक दिन बाद और वर्शादोदकु से ठीक पहले हिंदुओं से हलाल मांस के बहिष्कार की अपील की है। बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद द्वारा यह अपील उस समय की गई है जब इन त्योहारों के समय कई हिंदू समुदायों में मांसाहारी दावत का आयोजन किया जाता है।

इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कर्नाटक कांग्रेस के प्रमुख डीके शिवकुमार ने लोगों से कहा कि वे पशुपालन विभाग द्वारा जारी किए गये पत्र से डरें नहीं। उन्होंने कहा, "अगर कोई आपको परेशान करता है तो हमें फोन करें। हमारे कार्यकर्ताओं को फौरन मौके पर भेजा जाएगा।"

शिवकुमार ने कहा, "किसी को भी आरएसएस और भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा बांटे जा रहे हैंडबिल से डरने की जरूरत नहीं है। यह हमारी जिम्मेदारी है।" उन्होंने कहा, "मुझे राज्य भर से किसानों के फोन आ रहे हैं। वे कह रहे हैं कि उनके मुर्गे, भेड़ और बकरियों को खरीदने वाले लोग ही आने बंद हो गये हैं।"

मंदिरों और धार्मिक मेलों में मुस्लिम व्यापारियों की दुकानों पर लगे प्रतिबंध और हलाल मांस के मुद्दे का जिक्र करते हुए शिवकुमार ने कहा, "पिछले हफ्ते से उनके राजनीतिक मकसद के कारण राज्य और समाज में शांति भंग हुई है।"

उन्होंने कहा, "मैंने इंसानों को सर्जरी से पहले बेहोश होते देखा है जानवरों को नहीं। मैं पहली बार आश्चर्यचकित हूं ऐसे नियम पर। इस देश में लोगों की खाने की आदतें हजारों सालों से विकसित हुई हैं। लोगों जैसे कर रहे थे वैसे उन्हें करते रहना चाहिए, खासकर हमारे किसान और कारोबारी समुदाय को।"

कर्नाटक की भाजपा सरकार को लताड़ लगाते हुए डीके शिवकुमार ने कहा, "कर्नाटक को बर्बाद मत करो। लोगों की रोजी-रोटी मत छीनो। सभी समुदायों को एक साथ रहने दो।"

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