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कर्नाटकः अलग धर्म का दर्जा दिए जाने के मामले में लिंगायत और वीरशैव समुदाय आपस में भिड़े

By रामदीप मिश्रा | Updated: March 19, 2018 19:56 IST

कर्नाटक में लिंगायत समुदाय लगभग 21 फीसदी है। इस वजह से यह निर्णय बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह समुदाय यहां की 224 सीटों में से 100 सीटों पर हार जीत तय करते हैं।

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बेंगलुरु, 19 मार्चः कर्नाटक सरकार द्वारा लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा दिए जाने की सिफारिशों को मंजूर करने के बाद दो समुदायों के बीच विवाद खड़ा हो गया। दरअसल, कर्नाटक के कलबुर्गी में लिंगायत और वीरशैव समुदाय के लोग आपस में भिड़ गए। मामले को बढ़ता देख पुलिस ने स्थिति को संभाला, जिसके बाद मामला शांत हुआ। 

खबरों के अनुसार, अलग धर्म का दर्जा दिए जाने की सिफारिशों को मंजूरी मिलने के बाद लिंगायत समुदाय के लोग खुशी जाहिर करने के लिए सड़कों पर उतरे थे। इसी दौरान सिद्धारमैया सरकार के इस निर्णय का विरोध करने के लिए वीरवैश समुदाय के लोग उतर आए।

इस दौरान दोनों समुदाय के लोग आमने-सामने पहुंच गए, जिसके बाद आपस में भिड़। हालांकि, मामला जब तक ज्यादा बढ़ता तब तक पुलिस ने स्थिति को काबू में कर लिया और दोनों समाज के लोगों को शांत कराया।आपको बता दें कि सिद्धारमैया सरकार ने लिंगायतों की अलग धर्म की मांग पर विचार के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस नागामोहन दास की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। इस समिति ने लिंगायत समुदाय के लिए अल्पसंख्यक दर्जे की सिफारिश की थी, जिसे कैबिनेट की तरफ ने मंजूरी दे दी गई है। 

ये भी पढ़ें-सिद्धारमैया सरकार ने लिंगायतों के लिए अलग धर्म का दर्जा किया मंजूर, अब मोदी सरकार को लेना होगा फैसला

कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद यह सिफारिश मोदी सरकार के पास भेजी जाएगी, जिसके बाद केंद्र सरकार इस मामले पर अपना अंतिम फैसला करेगी। सबसे बड़ी बात यह है कि विधानसभा चुनाव से पहले लिए गए इस निर्णय के लिए सीएम सिद्धारमैया का तुरुप का इक्का बताया जा रहा है।

कर्नाटक में लिंगायत समुदाय लगभग 21 फीसदी है। इस वजह से यह निर्णय बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह समुदाय यहां की 224 सीटों में से 100 सीटों पर हार जीत तय करते हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब साल 2013 के चुनाव के वक्त बीजेपी ने येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाया था तो लिंगायत समाज ने बीजेपी को वोट नहीं दिया था क्योंकि येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से हैं।

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