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5 साल से बंद है कैलाश मानसरोवर यात्रा, अब भारत से ही होंगे पवित्र पर्वत के दर्शन, जानें कैसे

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: July 15, 2024 16:07 IST

चीन के अधिकारियों द्वारा वर्ष 2020 में कोविड महामारी फैलने के बाद से कैलाश-मानसरोवर यात्रा की अनुमति नहीं दिए जाने के कारण पुरानी लिपुलेख चोटी से कैलाश दर्शन को कैलाश मानसरोवर यात्रा के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है।

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ठळक मुद्देपिछले पांच साल से चीन ने हिंदुओं के लिए पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा के दोनों आधिकारिक मार्ग बंद कर रखे हैंत्तराखंड पर्यटन विभाग वैकल्पिक तरीके से पवित्र पर्वत के दर्शन कराने की तैयारी कर रहा हैकोशिश है कि श्रद्धालुओं को भगवान शिव के निवास स्थान माने जाने वाले कैलाश पर्वत की झलक भारतीय भूभाग से ही मिल सके

नई दिल्ली: पिछले पांच साल से चीन ने हिंदुओं के लिए पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा के दोनों आधिकारिक मार्ग बंद कर रखे हैं। चीन ने  नेपाल के माध्यम से कैलाश मानसरोवर पहुंचने का रास्ता खोला तो है लेकिन इतने सख्त नियम बना रखे हैं कि भारतीयों के लिए वहां पहुंचना लगभग असंभव है। यही कारण है कि  उत्तराखंड पर्यटन विभाग वैकल्पिक तरीके से पवित्र पर्वत के दर्शन कराने की तैयारी कर रहा है।

उत्तराखंड पर्यटन विभाग की कोशिश है कि श्रद्धालुओं को भगवान शिव के निवास स्थान माने जाने वाले कैलाश पर्वत की झलक भारतीय भूभाग से ही मिल सके। राज्य पर्यटन विभाग ने पिथौरागढ़ जिले में तिब्बत के प्रवेशद्वार लिपुलेख दर्रे के पश्चिम ओर स्थित पुरानी लिपुलेख चोटी से 'कैलाश दर्शन' की संभावनाओं को जिंदा किया है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के धारचूला में लिपुलेख चोटी पर एक स्थान विकसित किया है, जहां से जल्द ही कैलाश पर्वत को महज 50 किमी की दूरी से स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा। 

इस महीने की शुरुआत में, उत्तराखंड सरकार ने घोषणा की थी कि तीर्थयात्री इस साल 15 सितंबर से इस स्थान से कैलाश पर्वत के दर्शन कर सकेंगे। इसमें लिपुलेख तक एक वाहन ड्राइव और माउंट कैलाश को देखने के लिए सुविधाजनक स्थान तक पहुंचने के लिए लगभग 800 मीटर की पैदल यात्रा शामिल होगी।

चीन के अधिकारियों द्वारा वर्ष 2020 में कोविड महामारी फैलने के बाद से कैलाश-मानसरोवर यात्रा की अनुमति नहीं दिए जाने के कारण पुरानी लिपुलेख चोटी से कैलाश दर्शन को कैलाश मानसरोवर यात्रा के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। पुरानी लिपुलेख दर्रा चोटी 19,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। सीमा सड़क संगठन द्वारा चोटी के आधार शिविर तक सड़क का निर्माण कर दिया गया है। 

लिपुलेख दर्रे से केवल 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चोटी तक श्रद्धालु स्नो स्कूटर के जरिए पहुंच सकते हैं। पुराने समय में भी कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए ऐसे श्रद्धालु पुराने लिपुलेख दर्रा चोटी का प्रयोग करते थे जो वृद्धावस्था या किसी रोग के कारण मानसरोवर तक नहीं जा पाते थे।

इसके अलावा नेपाल के नेपालगंज से सिद्धार्थ बिजनेस ग्रुप ने एक चार्टर्ड विमान सेवा भी शुरू की है। कैलाश-मानसरोवर दर्शन उड़ान के नाम वाली यह विमान सेवा तीर्थस्थल कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील का मनमोहक दृश्य दिखाती है। 

टॅग्स :कैलाश मानसरोवरचीनभारतभगवान शिवउत्तराखण्ड
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