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पश्चिम बंगाल: परिचालन की इजाजत मिलने के बाद भी परेशान हैं जूट मिल, अब श्रमिक उपलब्ध नहीं

By भाषा | Updated: May 31, 2020 14:18 IST

पश्चिम बंगाल के जूट उद्योग को परिचालन शुरू करने की अनुमति मिलने के बाद भी उद्योग असमंजस में है। दरअसल, अब मिलों के सामने श्रमबल का संकट है।

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ठळक मुद्देजूट मिलों ने शनिवार को कहा कि उन्हें अपने उत्पादन को सामान्य करने में कम से कम दो से तीन सप्ताह का समय लगेगा।उद्योग का अनुमान है कि उनका 50 प्रतिशत श्रमबल अपने घरों को लौट गया है।

कोलकाता:पश्चिम बंगाल के जूट उद्योग को सोमवार से परिचालन शुरू करने की अनुमति मिल गई है, लेकिन इसके बावजूद उद्योग असमंजस में है। मिलों के सामने श्रमबल का संकट है। कोरोना वायरस महामारी फैलने के बीच करीब 50 प्रतिशत श्रमिक अपने गृह राज्य लौट गए हैं। केंद्र से मिलों पर लंबित ऑर्डरों को पूरा करने का दबाव पड़ रहा है। 

जूट मिलों ने शनिवार को कहा कि उन्हें अपने उत्पादन को सामान्य करने में कम से कम दो से तीन सप्ताह का समय लगेगा। वह भी तब जबकि प्रवासी श्रमिक समय पर काम पर लौट आएं। इसका मतलब है कि तकनीकी रूप से मिलें एक जून से 100 प्रतिशत श्रमिकों के साथ परिचालन कर सकती है, लेकिन ऐसा होना संभव नहीं लगता। उद्योग का अनुमान है कि उनका 50 प्रतिशत श्रमबल अपने घरों को लौट गया है। 

जूट मिलों में काम करने वाले ज्यादातर श्रमिक झारखंड, बिहार और ओड़िशा के है। लॉकडाउन लंबा खिंचने की वजह से उनकी आमदनी का जरिया बंद हो गया था जिसके बाद वे बसों और लॉरियों में अपने घरों को लौट गए। राज्य की 59 में से ज्यादातर जूट मिलें श्रमिकों को ठेके पर रखती हैं। यानी काम नहीं होने पर उन्हें वेतन नहीं मिलता। 

एक समूह के प्रवर्तक ने अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर पीटीआई-भाषा से कहा कि श्रमिकों ने कामकाज शुरू होने का लंबे समय तक इंतजार किया। शुरुआत में सिर्फ 15 प्रतिशत श्रमबल के साथ परिचालन की अनुमति मिली। ऐसे में जिनको काम नहीं मिल पाया वे अपने घरों को लौट गए। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के अलावा ईद की वजह से भी काफी श्रमिक अपने गृह राज्य चले गए हैं। राज्य में कई जूट मिलें चलाने वाले समूह के प्रवर्तकों ने कहा कि पूर्ण रूप से परिचालन शुरू करने की अनुमति काफी देर से मिली है। 

भारतीय जूट मिल संघ के चेयरमैन राघव गुप्ता ने कहा कि बंद के दौरान बड़ी संख्या में श्रमिक अपने घर चले गए हैं। ‘‘हमने उनसे 15 दिन में काम पर रिपोर्ट करने को कहा है.. अभी हमें इंतजार करना होगा।’’ यह पूछे जाने पर कि बिना उचित सार्वजनिक परिवहन के श्रमिक दूरदराज के क्षेत्रों से कैसे वापस लौटेंगे, गुप्ता ने कहा कि संघ इस मुद्दे को सरकार के समक्ष उठाएगा। 

जूट मिलों के सूत्रों का कहना है कि घर लौटे श्रमिकों को स्थानीय लोगों से बदलना आसान नहीं है क्योंकि जूट मिलों का काम हर कोई नहीं कर सकता। भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा में वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने भरोसा दिलाया कि बंगाल के उद्योगों के श्रमबल के संकट को दूर करने के लिए विशेष ट्रेनों की व्यवस्था की जाएगी।

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