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जेएनयू और बीएचयू के वीसी की एक साल खोज के बाद सरकार ने दोबारा निकाला विज्ञापन, जेएनयूटीए ने की आलोचना

By विशाल कुमार | Updated: October 3, 2021 09:20 IST

मौजूदा जेएनयू वीसी एम. जगदीश कुमार का कार्यकाल 26 जनवरी को समाप्त हो गया था, जिसके बाद उन्हें अपने उत्तराधिकारी के चुने जाने तक मंत्रालय द्वारा अपने पद पर बने रहने की अनुमति दी गई थी. कुमार आईआईटी दिल्ली के अगले निदेशक के लिए भी सबसे आगे हैं.

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ठळक मुद्देशिक्षा मंत्रालय ने यह कहते हुए नए विज्ञापन जारी किए हैं कि इससे उन्हें अधिक विकल्प मिलेंगे.पिछले दौर में जब एक महीने की लंबी समयसीमा दी गई थी, तब लगभग 200 आवेदन प्राप्त हुए थे.जेएनयूटीए ने कहा कि यह न केवल केंद्र की अक्षमता बल्कि विश्वविद्यालय को व्यवस्थित रूप से नष्ट करने में इसकी सक्रिय मिलीभगत की ओर भी दर्शाता है.

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के अगले कुलपतियों को चुनने की प्रक्रिया शुरू करने के एक साल बाद शिक्षा मंत्रालय ने पदों के लिए और अधिक आवेदन स्वीकार करने के लिए यह कहते हुए नए विज्ञापन जारी किए हैं कि इससे उन्हें अधिक विकल्प मिलेंगे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को जारी पुनर्विज्ञापन के तहत जेएनयू वीसी के पद के लिए आवेदन 11 अक्टूबर तक स्वीकार किए जाएंगे. बीएचयू वीसी के पद के लिए नए आवेदन 15 सितंबर से 24 सितंबर के बीच स्वीकार किए गए थे.

मौजूदा जेएनयू वीसी एम. जगदीश कुमार का कार्यकाल 26 जनवरी को समाप्त हो गया था, जिसके बाद उन्हें अपने उत्तराधिकारी के चुने जाने तक मंत्रालय द्वारा अपने पद पर बने रहने की अनुमति दी गई थी. कुमार आईआईटी दिल्ली के अगले निदेशक के लिए भी सबसे आगे हैं.

इस साल 28 मार्च को पूर्व वीसी राकेश भटनागर का कार्यकाल समाप्त होने के बाद बीएचयू में प्रोफेसर विजय कुमार शुक्ला कार्यवाहक वीसी हैं.

पिछले दौर में जब एक महीने की लंबी समयसीमा दी गई थी, तब लगभग 200 आवेदन प्राप्त हुए थे.

वहीं, जेएनयू शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) ने फिर से विज्ञापन पर मंत्रालय पर निशाना साधते हुए कहा कि यह न केवल इसकी (केंद्र की) अक्षमता बल्कि विश्वविद्यालय को व्यवस्थित रूप से नष्ट करने में इसकी सक्रिय मिलीभगत की ओर भी दर्शाता है.

तीन सदस्यीय जेएनयू खोज-सह-चयन-समिति में राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर केके अग्रवाल और प्रोफेसर अशोक गजानन मोदक हैं, जिन्हें 2015 में केंद्र द्वारा राष्ट्रीय अनुसंधान प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया था.

बता दें कि, कई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ-साथ कई आईआईटी के निदेशकों और अध्यक्षों की नियुक्तियां लंबे समय से लंबित हैं.

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