पटना, 24 मार्च जनता दल (यू) के वरिष्ठ नेता महेश्वर हजारी को विपक्ष के बर्हिगमन के बीच बुधवार को बिहार विधानसभा का उपाध्यक्ष निर्वाचित कर लिया गया। विपक्ष एक दिन पहले पुलिस विभाग से संबंधित विधेयक के विरोध के दौरान प्रतिपक्ष के सदस्यों के खिलाफ कथित बल के इस्तेमाल के विरुद्ध सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर रहा है।
हजारी को, सदन से विपक्षी सदस्यों की गैर हाजरी के बीच, ध्वनि मत से उपाध्यक्ष निर्वाचित किया गया।
विपक्षी राजद, कांग्रेस, भाकपा माले, भाकपा और माकपा के सदस्य सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हुए और विधानसभा परिसर में समानंतर सत्र आयोजित किया जिसके लिए राजद के भूदेव चौधरी को अध्यक्ष चुना गया।
चौधरी ने विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए नामांकन दायर किया था लेकिन न वह और न ही विपक्षी विधायकों ने उपाध्यक्ष के चुनाव में हिस्सा लिया।
महागठबंधन बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 का विरोध कर रहा है। यह विधेयक नीतीश कुमार सरकार ने पेश किया है जिसका में पुलिस बल को और शक्तियां देने के प्रावधान हैं।
मुख्यमंत्री कुमार ने उपाध्यक्ष निर्वाचित होने पर हजारी को बधाई दी और असंसदीय कृत्यों से ‘लोकतंत्र का अपमान’ करने के लिए विपक्ष की आलोचना की।
कुमार ने कहा कि विपक्ष को मालूम था कि उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ेगा, इसलिए वे इससे भाग गए और सदन के बाहर ‘अलोकतांत्रिक’ कृत्य में शामिल हैं।
उन्होंने पूछा, “ उन्हें यह सब करके क्या हासिल होगा?”
मुख्यमंत्री ने नए पुलिस विधेयक की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि अगर विपक्ष ने उचित तरीके से सदन में अपनी आपत्ति उठाई होती तो सरकार बिंदुवार उनके संदेहों को स्पष्ट करती।
यह विधेयक विधानसभा ने मंगलवार को पारित कर दिया है।
हजारी को 243 सदस्यीय विधानसभा में 124 वोट मिले।
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में राजग के घटक दलों में भाजपा ने सबसे ज्यादा सीटें जीती थी। लिहाजा इस बार विधानसभा अध्यक्ष का पद भाजपा को मिला और उपाध्यक्ष पद के लिए जदयू ने अपना उम्मीदवार खड़ा किया है।
पिछली बार नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के विजय चौधरी विधानसभा अध्यक्ष थे जबकि भाजपा के अमरेंद्र प्रताप सिंह उपाध्यक्ष थे।
बिहार विधानसभा में मंगलवार को खूब हंगामा हुआ था और विपक्षी सदस्यों को सदन से बाहर निकालने के वास्ते मार्शलों की मदद करने के लिए पुलिस को बुलाया गया था। विपक्षी सदस्यों ने विधानसभा अध्यक्ष को उनके आसन पर बैठने से रोकने का प्रयास किया था।
विपक्ष ने विधेयक को ‘काला’ कानून बताया है और पुलिस को बिना वारंट के तलाशी लेने और गिरफ्तारी करने का अधिकार देने के प्रावधान पर कड़ी आपत्ति जताई है।
विशेष सशस्त्र पुलिस को पहले बिहार सेना पुलिस के नाम से जाना जाता था।
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