नागपुरः इतवारी-छिंदवाड़ा के बीच छोटी लाइन को हटाकर बड़ी लाइन में तब्दील किए जाने का काम भारी विलंब के साथ 10 साल में पूरा किया गया.
2020 में ट्रेन चलने की उम्मीद थी लेकिन ये साल कोरोना के असर में चला गया. ब्राॅडगेट ट्रैक बनने पर 147 किलोमीटर के इस मार्ग पर करीब 2 घंटे का सफर होने की उम्मीद जताई जा रही थी लेकिन ये दूरी तय करने में 4 घंटे लग रहे हैं. इस रेल रूट पर भिमालगोंडी से भंडारकुंड तक के ट्रैक पर 30 किलोमीटर प्रतिघंटा गति होने के चलते सफर में लंबा वक्त लगने का कारण बताया जा रहा है.
गौरतलब है कि 2009-10 में इस परियोजना का काम 511 करोड़ रुपए की लागत से शुरू हुआ है और विलंब के साथ इसकी लागत 1413 करोड़ रुपए के करीब पहुंच गई. इतनी भारी रकम लगाने के बाद भी यात्रियों को गति के लिहाज से कोई सुविधा नहीं मिल रही है. हैरत की बात है कि मंद गति वाली ये ट्रेन भी स्पेशल के नाम से चलाई जा रही है और मूल किराए से ज्यादा किराया लिया जा रहा है. ये सारी परिस्थितियां किसी मजाक से कम नहीं लगतीं.
इसलिए कम रखी गई गति
पिछले साल बारिश के दौरान भिमालगोंडी से भंडारकुंड सेक्शन पर भूस्खलन के असर के चलते कमिश्नर रेलवे सेफ्टी ।सीआरएस। ने यहां 30 का कॉशन ऑर्डर ।गति प्रतिबंध्। लगवा दिया था. इससे ये जाहिर हो रहा है कि परियोजना में तीन गुना ज्यादा लागत के बावजूद ऐसा काम नहीं हो पाया कि चुनौतिपूर्ण सेक्शन से ट्रेन गति के साथ दौड़ सके.
100 की गति के लिए भेजा है प्रस्ताव
भिमालगोंडी से भंडारकुंड तक करीब 15 किमी की दूरी में 30 केएमपीएच की गति से ट्रेन चल रही है. इसके अलावा पूरे सेक्शन पर भी गति बढ़ाकर 100 केएमपीएच करने के लिए रेलवे बोर्ड को प्रस्ताव भेजा गया है. साकेत रंजन, सीपीआरओ, दूपम रेल, मुख्यालय, बिलासपुर
गति बढ़ाई जानी जरूरी
इतवारी-छिंदवाड़ा के बीच सफर करने वाले कुछ यात्रियों ने बताया कि इतने लंबे इंतजार के बाद मार्ग पर ट्रेन चल रही है तो इसकी उचित गति होनी चाहिए. काम में धीमापन और रफ्तार में धीमापन रखते हुए केवल किराया ही बढ़ाया गया है. मंडल के मुख्य इतवारी रेलवे स्टेशन पर ही यात्री सुविधा का काफी अभाव है.