यूनेस्को के विश्वव्यापी वार्षिक पर्यवेक्षण के रूप में आज (21 फरवरी को) अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (IMLD) मनाया जा रहा है। इसके अंतर्गत आज दुनियाभर में भाषाई विविधता का जश्न मनाया जाता है। यूनेस्को ने दुनियाभर के विभिन्न देशों में उपयोग की जाने वाली (पढ़ी, लिखी और बोली जाने वाली) 7000 से अधिक भाषाओं की पहचान की है। इन भाषाओं को सेलिब्रेट करने के लिए 21 फरवरी का दिन चुना।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2020 की थीम
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की इस साल की थीम 'बिना सीमाओं वाली भाषाएं' (Languages without borders) है। यूनेस्को के अनुसार, 'स्थानीय सीमा पार की भाषाएं शांतिपूर्ण संवाद को बढ़ावा दे सकती हैं और स्वदेशी विरासत को संरक्षित करने में मदद कर सकती हैं।' 21 फरवरी 2020 को संगठन इस थीम के तहत 'बहुभाषीवाद' का जश्न मना रहा है।
भारत के लिए महत्व
भारत ‘अनेकता में एकता’ के सिद्धांत के तहत अपनी सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाता है। हिंदी दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। जनगणना 2001 के अनुसार, भारत में आधिकारिक तौर पर 22 मान्यता प्राप्त भाषाएं, 1635 तर्कसंगत मातृभाषाएं, 234 पहचान योग्य मातृभाषाएं हैं। यह भारतीय संदर्भ में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को विशेष रूप से महत्वपूर्ण बनाती है।
विशेष रूप से इस वर्ष का विषय 'बिना सीमाओं वाली भाषाएं' दिया गया है, जो कि भारत की विविध भाषाई विरासत को अपनी ताकत दिखाने का संकेत देता है। यह थीम यह भी दर्शाता है कि कैसे एक देश एक ही भौगोलिक सीमाओं के भीतर इतनी सारी भाषाओं को समेटने में कामयाब रहा है।21 फरवरी को ही क्यों मनाते हैं 'अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस'
'अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस' मनाने के पीछे एक बड़ा इतिहास छुपा हुआ है। 21 फरवरी 1952 में ढाका यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तत्कालीन पाकिस्तान सरकार की भाषायी नीति का विरोध किया था। प्रदर्शनकारियों की यह मांग थी कि बांग्ला भाषा को आधिकारिक दर्जा दिया जाए। लेकिन पाकिस्तान सरकार ने उनकी यह बात स्वीकार नहीं की और पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलवा दीं। इसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे, लेकिन प्रदर्शन नहीं रुका।
अंत में प्रदर्शनकारियों के आगे झुककर पाकिस्तान सरकार ने उनकी मांग स्वीकार की और बांग्ला भाषा को आधिकारिक दर्जा देना पड़ा। इस आंदोलन में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए यूनेस्को ने नवंबर 1999 को जनरल कांफ्रेंस में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का फैसला किया और 21 फरवरी की तारीख तय की गई। इसके बाद से हर साल दुनिया भर में 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाने लगा।
दुनियाभर में भारतीय भाषाएं बोलने वाले लोगों की संख्या:
हिंदी- 61.5 करोड़ लोगबंगाली- 26.5 करोड़ लोगउर्दू- 17 करोड़मराठी- 9.5 करोड़ लोगतेलुगू- 9.3 करोड़तमिल- 8.1 करोड़ लोग
(वर्ल्ड लैंग्वेज डेटाबेस के 22वें संस्करण इथोनोलॉज के मुताबिक)