प्रयागराज, 29 जनवरी इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को प्रदेश में सभी पुलिस थानों से शीर्ष 10 अपराधियों के नामों की सूची हटाने का शुक्रवार को निर्देश दिया क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करता है। हालांकि अदालत ने कहा कि निगरानी के लिए बड़े अपराधियों की सूची तैयार करना कोई गलत नहीं है।
न्यायमूर्ति पंकज नकवी और न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की पीठ ने जीशान उर्फ जानू, बलवीर सिंह यादव और दूध नाथ यादव की याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया।
अदालत ने प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इस आदेश की प्रति जिलों के सभी पुलिस प्रमुखों को भेजा जाए ताकि इस आदेश का सख्ती से पालन सुनिश्चित हो सके।
अदालत ने कहा कि पुलिस थानों में अपराधियों की पहचान उजागर करने के संबंध में पुलिस अधिकारियों की कार्रवाई बिल्कुल अवांछित है क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करता है। हालांकि अदालत ने कहा कि इस निर्णय का लाभ किसी घोषित अपराधी और भगोड़े को नहीं दिया जाएगा।
ये तीनों याचिकाकर्ता प्रयागराज और कानपुर नगर के विभिन्न पुलिस थानों में प्रदर्शित शीर्ष 10 अपराधियों की सूची में अपने नामों के प्रकाशन से व्यथित थे।
अदालत ने कहा, “ना सामाजिक तौर पर और ना ही राजनीतिक तौर पर मानव गरिमा को ठेस पहुंचाना वांछित है और आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 82 के तहत किसी तरह की उद्घोषणा जारी किए बगैर पुलिस थानों में उनके नाम प्रदर्शित करने से गरिमा को ठेस पहुंचती है।
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