नई दिल्ली: साल 2020 से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की हरकतों के कारण भारतीय सेना का भारी जमावड़ा है। गलवान की घटना के बाद 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर भारतीय सेना ने 'स्थायी सुरक्षा' और बुनियादी ढाँचे का निर्माण भी किया है। अब लगातार पांचवीं सर्दी में भी सेना सीमा पर सैनिकों की अग्रिम तैनाती बनाए रखने की तैयारी में पूरी ताकत से जुट गई है।
भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश-सिक्किम के दुर्गम इलाकों में इस साल भी सर्दियों में अपनी भारी मौजूदगी बनाए रखेगी। इस दौरान तनाव कम करने के लिए राजनीतिक-कूटनीतिक वार्ता भी जारी है लेकिन इसका कोई ठोस परिणाम निकलते नहीं दिख रहा। सीमा के दूसरी तरफ अपने कब्जे वाले इलाके में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अपनी अग्रिम सैन्य स्थिति को मजबूत करने के लिए बुनियादी ढाँचे का निर्माण जारी रखे हुए है। फिलहाल ऐसी कोई संभावना नहीं दिखती कि पीएलए निकट भविष्य में पहले की स्थिति बहाल करने के लिए तैयार है।
तैयारी में जुटी भारतीय सेना भी सीमा पर तैनात अतिरिक्त सैनिकों के लिए बड़े पैमाने पर 'शीतकालीन स्टॉकिंग' कर रही है। जनरल उपेंद्र द्विवेदी और सेना की सात कमांड के कमांडर-इन-चीफ 9-10 अक्टूबर को गंगटोक (सिक्किम) में होने वाली बैठक में परिचालन स्थिति की समीक्षा भी करेंगे।
12 सितंबर को सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स बैठक के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बैठक हुई थी। इससे ये कयास भी लगाए जा रहे हैं कि आने वाले समय में सीमा पर जारी तनाव में कुछ कमी आ सकती है। इस बीच, सेना किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए एलएसी के प्रत्येक क्षेत्र में पर्याप्त रिजर्व बलों और रसद के साथ उच्च स्तर की परिचालन तैयारियों' को बनाए रख रही है।
2021 में, भारत ने चीन के साथ अपनी सीमा पर गश्त करने के लिए 50,000 सैनिकों को तैनात किया था। समय के साथ यह संख्या बढाई गई है। चीन सीमा पर वायुसेना भी लगातार नजर रख रही है। 2020 में सीमा पर हुई एक घातक झड़प में कम से कम 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे। इसके बाद से भारत ने सैन्य-संबंधित बुनियादी ढांचे को उन्नत किया है और सीमा पर भारी हथियार भी तैनात किए हैं। माना जाता है कि चीन से लगती सीमा पर इस समय 1 लाख से ज्यादा सैनिक तैनात हैं।