भारत ने यूरोपीय संघ (ईयू) के सदस्य देशों से कोविशील्ड और कोवैक्सिन को वैक्सीनेशन के तौर पर स्वीकार करने या जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी है। सूत्रों के मुताबिक, भारत की ओर से साफ तौर पर कहा गया है कि यदि भारतीय वैक्सीनों को अनुमति नहीं दी जाती है तो यूरोप से आने वाले लोगों को 14 दिन के अनिवार्य क्वारंटाइन का सामना करना पड़ेगा।
सरकार ने दोनों वैक्सीन को ग्रीन पास स्कीम में शामिल करने के लिए कहा है। भारत की ओर से ईयू के 27 देशों से कहा गया है कि वह कोविशील्ड औरन कोवैक्सिन के टीके लगवाने वाले भारतीयों को यूरोप की यात्रा की अनुमति देने पर अलग-अलग विचार करें।
सरकार ने यह कदम उन लोगों की परेशानी को देखते हुए उठाया है जिसमें कई लोग यूरोपीय देशों की यात्रा करना चाहते हैं, लेकिन भारतीय वैक्सीनों को पासपोर्ट से संबद्ध करने की इजाजत नहीं मिलने से लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है।
भारत ने ईयू देशों से कहा है कि वह अदला-बदली की नीति अपनाएगा और ग्रीन पास रखने वाले यूरोपीय नागरिकों को भारत में अनिवार्य क्वारंटीन से छूट प्रदान करेगा। साथ ही कोविन पोर्टल के जरिये जारी वैक्सीन सर्टिफिकेट को स्वीकार करने की भी बात कही गई है।
आज से यूरोपीय संघ की कोविड सर्टिफिकेशन स्कीम या ग्रीन पास स्कीम अस्तित्व में आ गई है। इस स्कीम के तहत कोविड-19 महामारी के तहत यूरोपीय देशों में आने जाने वाले उन लोगों को छूट दी जाएगी, जिन्होंने यूरोपीय चिकित्सा एजेंसी की ओर से अधिकृत वैक्सीन लगवाई है। साथ ही अलग-अलग देशों को अलग-अलग वैक्सीन स्वीकार करने की भी छूट होगी, जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर या विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से अधिकृत किया गया है।
विदेश मंत्री ने भी उठाया था मुद्दा
हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि जोसेफ बोरेल फोंटेलेस के साथ बैठक की थी। जिसमें जयशंकर ने कोविशील्ड को ईयू के डिजिटल कोविड प्रमाण पत्र योजना में शामिल करने के मामले को उठाया था। वहीं सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने भी कोविशील्ड को मंजूरी मिलने का भरोसा जताया है।