नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के तीन साल पूरे होने पर इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) द्वारा दिए गए बयान पर भारत ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। ओआईसी द्वारा जारी किए गए बयान का जवाब देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि ऐसे बयानों से साफ होता है कि ओआईसी आतंकवाद के जरिए चलाये जा रहे सांप्रदायिक एजेंडे के लिए समर्पित है।बागची ने कहा, ''ओआईसी के महासचिव के दिए बयान से धर्मांधता की बू आती है।'' अरिंदम बागची ने जोर देकर कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर भारत का एक अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है और रहेगा।
ओआईसी ने अपने बयान में क्या कहा था
इससे पहले 5 अगस्त 2022 को इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने एक बयान जारी कर कहा था कि जम्मू-कश्मीर में भारत ने तीन साल पहले एकतरफा फैसला लिया था। ओआईसी ने कहा था कि भारत का फैसला गैरकानूनी था और भू-राजनीतिक बदलाव के लिए किया गया था। कश्मीरियों के मानवाधिकार की बात करते हुए ओआईसी ने कहा था कि वह कश्मीर के लोगों के स्वनिर्णय के अधिकार का समर्थन करता है, साथ ही ओआईसी ने विश्व समुदाय से अपील की थी कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के तहत जम्मू-कश्मीर विवाद के हल के लिए उचित क़दम उठाए।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ओआईसी पर पाकिस्तान के इशारे पर बयान जारी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ओआईसी के महासचिव मानवाधिकारों का लगातार उल्लंघन करने वाले और सीमा पार, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले के इशारे पर जम्मू-कश्मीर पर बयान जारी करते रहते हैं। ओआईसी के ऐसे बयानों से स्पष्ट है कि वह आतंकवाद के जरिए चलाए जा रहे सांप्रदायिक एजेंडे के लिए समर्पित है।
चीन ने भी कश्मीर मुद्दे पर दी प्रतिक्रिया
उधर कश्मीर मुद्दे पर पूछे गए एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान के एक सवाल के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि ''कश्मीर के मामले पर चीन की स्थिति बिल्कुल स्पष्ट रही है। कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच अतीत से चलता आ रहा एक मुद्दा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भी यही नजरिया है। हमने पहले भी कहा था कि संबंधित पक्षों को संयम और विवेक से काम लेने की ज़रूरत है।''