India-Pakistan tension: कानपुर जिले के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) ने तुर्किए के इस्तांबुल विश्वविद्यालय के साथ हुए समझौते को तत्काल समाप्त करने की घोषणा की है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सीएसजेएमयू अधिकारियों के अनुसार, यह निर्णय भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान का समर्थन करने के तुर्किए के रुख के चलते लिया गया है। सीएसजेएमयू के कुलपति (वीसी) विनय पाठक ने पुष्टि की कि उन्होंने तुर्किए के रेक्टर जुल्फिकार को पत्र भेजकर समझौते को समाप्त करने की जानकारी दी है।
पाठक ने कहा, "हमने इस्तांबुल विश्वविद्यालय को दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन आवश्यक परिस्थितियों के बारे में लिखित रूप से सूचित किया है कि सीएसजेएमयू ने हाल ही में निष्पादित समझौता ज्ञापन को औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया है।" पाठक ने आगे विस्तार से बताया, "यह निर्णय तुर्किए द्वारा खुद को पाकिस्तान के साथ जोड़ने के गंभीर भू-राजनीतिक रुख से सीधे तौर पर उपजा है।
जो भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए खुले तौर पर शत्रुतापूर्ण है।" उन्होंने जोर देकर कहा, "हमारा दृढ़ विश्वास है कि पाकिस्तान के रणनीतिक सहयोगी के साथ प्रत्यक्ष या मौन रूप से जुड़े किसी संस्थान को विश्वसनीय अकादमिक सहयोगी नहीं माना जा सकता।" कुलपति ने इस बात पर जोर दिया कि अकादमिक उत्कृष्टता महत्वपूर्ण है, लेकिन "राष्ट्र से ऊपर कुछ भी नहीं है।"
पत्रकारों से बातचीत में कुलपति ने बताया कि पिछले साल नवंबर में हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन का उद्देश्य अकादमिक और शोध सहयोग के साथ-साथ संकाय आदान-प्रदान को बढ़ावा देना था। अपने पत्र में पाठक ने यह स्पष्ट किया कि सीएसजेएमयू की अंतरराष्ट्रीय भागीदारी भारत के संप्रभु और रणनीतिक हितों के साथ संरेखित होनी चाहिए।
भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) के अध्यक्ष के रूप में विनय पाठक ने देश के सभी साथी कुलपतियों और अकादमिक नेताओं से एक अपील भी की है। उन्होंने उनसे "पारंपरिक शैक्षणिक सीमाओं से ऊपर उठने और एक सैद्धांतिक और देशभक्तिपूर्ण रुख अपनाने" का आग्रह किया।
पाठक ने तत्काल समीक्षा करने और, यदि आवश्यक हो, तो पाकिस्तान, तुर्किए और बांग्लादेश में विश्वविद्यालयों या संस्थानों के साथ किसी भी साझेदारी, समझौता ज्ञापन, विनिमय कार्यक्रम या शोध संबंधों को निलंबित या समाप्त करने का आह्वान किया, जहां भारत विरोधी विचारों या आतंकवादी प्रचार के समर्थन का स्पष्ट सबूत है।
पाठक ने कहा, "आइए, हम दुनिया को एक दृढ़ और सम्मानजनक संदेश भेजें: भारत के शैक्षणिक संस्थान आतंकवाद की निंदा और राष्ट्र की संप्रभुता की रक्षा में एकजुट हैं। हम किसी भी ऐसी संस्था के साथ सहयोग नहीं करेंगे जो हमारे देश की अखंडता को कमजोर करती है या इसके लोगों के जीवन को खतरे में डालती है।"
पहलगाम आतंकी हमले के बाद अंकारा द्वारा इस्लामाबाद का समर्थन करने और भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर की निंदा करने के कारण तुर्किए के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों में भी तनाव आने की उम्मीद है। भारतीय भी तुर्किए के सामानों का बहिष्कार कर रहे हैं और ऑनलाइन ट्रैवल प्लेटफॉर्म जैसे कि ईजमाईट्रिप और इक्सिगो के साथ पश्चिम एशियाई देश की अपनी यात्राएं रद्द कर रहे हैं तथा इन देशों की यात्रा के खिलाफ सलाह जारी कर रहे हैं।
भारत-पाकिस्तान तनाव: जेएनयू ने तुर्किये के इनोनू विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन स्थगित किया
भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष के बीच पाकिस्तान को तुर्किये के समर्थन के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) सहित यहां के कई शैक्षणिक संस्थानों ने या तो वहां के विश्वविद्यालयों के साथ अपना सहयोग निलंबित कर दिया है या इस पर विचार कर रहे हैं। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
जेएनयू ने तुर्किये के इनोनू विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) को निलंबित कर दिया है, वहीं जामिया मिलिया इस्लामिया ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए तुर्किये के संस्थानों के साथ सभी प्रकार के सहयोग को निलंबित कर दिया है। जेएनयू और इनोनू विश्वविद्यालय के बीच तीन वर्ष की अवधि के लिए तीन फरवरी को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसमें अन्य शैक्षणिक सहयोगों के अलावा संकाय और छात्र विनिमय कार्यक्रमों की योजनाएं भी शामिल थीं।
जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धुलीपुडी पंडित ने एक बयान में कहा, "जेएनयू ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर समझौता ज्ञापन को निलंबित कर दिया है, क्योंकि जेएनयू राष्ट्र और सशस्त्र बलों के साथ खड़ा है, जिनमें से कई जेएनयू के पूर्व छात्र हैं।" जामिया मिलिया इस्लामिया की जनसंपर्क अधिकारी प्रोफेसर साइमा सईद ने कहा, "जामिया ने तुर्किये के किसी भी शैक्षणिक संस्थान और प्रतिष्ठान के साथ सहयोग को निलंबित कर दिया है। हम सरकार और देश के साथ खड़े हैं और अगली सूचना तक सब कुछ निलंबित है।"
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) भी अपनी अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक साझेदारियों की समीक्षा कर रहा है। डीयू के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, "हम सभी समझौता ज्ञापन की जांच कर रहे हैं और समझौतों की समीक्षा के बाद ही कोई निर्णय लेंगे।"