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विदेश मंत्री जयशंकर बोले, LAC पर यथास्थिति बदलने की कोशिश ना हो, जानें भारत-चीन के बीच बैठक की अहम बातें

By पल्लवी कुमारी | Updated: September 11, 2020 07:29 IST

भारत-चीन सीमा विवाद: उम्मीद की जा रही है कि भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की  इस बातचीत से करीब चार महीने से जारी गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में कुछ सकारात्मक पहल होगी। बातचीत का मुद्दा दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव को कम करना और सैनिकों को वहां से वापस बुलाना था।

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ठळक मुद्देविदेश मंत्री जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री को कहा कि भारतीय जवानों ने तनाव के दौरान भी सीमा से जुड़े सभी समझौतों का पालन किया है। बैठक में दोनों देशों के जवानों के बीच बातचीत जारी रखने और तनाव कम करने को लेकर सहमति बनी है।

मॉस्को: विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीनी विदेश वांग यी ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लंबे समय से जारी गतिरोध को समाप्त करने के संबंध में मास्को में गुरुवार (10 सितंबर) को करीब 2 घंटे बैठक की। दोनों नेताओं के बातचीत का एकमात्र लक्ष्य पूर्वी लद्दाख में सीमा पर उत्पन्न तनाव को कम करना और गतिरोध के स्थल से सैनिकों की वापसी का था। बैठक में विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन विदेश मंत्री का साफ शब्दों में कहा कि सीमा पर यथास्थिति में किसी भी तरह के बदलाव की कोशिश नहीं होनी चाहिए।

बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीनी विदेश वांग यी ने इस बात पर सहमति जताई कि मतभेद विवाद में नहीं बदलने चाहिए। विदेश मंत्री जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री को कहा कि भारतीय जवानों ने तनाव के दौरान भी सीमा से जुड़े सभी समझौतों का पालन किया है। 

बैठक में दोनों देशों ने माना- सीमा की वर्तमान स्थिति दोनों के हित में नहीं 

विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन विदेश मंत्री वांग यी से कहा कि सीमा से जुड़े सभी समझौतों का पूरी तरह पालन होना चाहिए। विदेश मंत्रालय ने बैठक के बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि बैठक के दौरान दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि सीमा पर जो वर्तमान स्थिति है वह किसी भी दोनों देशों के हित में नहीं है। दोनों देशों के के जवानों के बीच बातचीत जारी रखने, तुरंत पीछे हटने और तनाव कम करने को लेकर भारत और चीन में सहमति बनी है।

भारत चाहता है सीमा पर तनाव कम हो: चीनी विदेश मंत्रालय

चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि बैठक के दौरान, भारत के मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारतीय पक्ष सीमा क्षेत्रों में तनाव को कम करना चाहता है। चीन के प्रति भारत की नीति नहीं बदली है। भारतीय पक्ष का मानना है कि भारत के प्रति चीन की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है।

विदेश मंत्रालय ने कहा, 'भारतीय और चीनी विदेश मंत्री इस बात पर सहमति जताई है कि दोनों देशों को सभी समझौतों और प्रोटोकॉल्स का पालन करना चाहिए। क्षेत्र में शांति पर बरकरार रखने और तनाव बढ़ाने वाले कदम उठाने से बचना होगा।' 

विदेश मंत्रालय ने बताया कि मॉस्को में हुई इस बैठक में स्पेशल रिप्रजेंटेटिव मेकनिजम के जरिए बातचीत जारी रखने पर भी सहमति बनी है। भारत-चीन के सीमा के मुद्दे पर वर्किंग मेकनिजम फॉर कंस्लटेशन ऐंड कोऑर्डिनेशन (WMCC) की बैठकें जारी रहेगी। दोनों नेताओं के बीच बातचीत रात आठ बजे (भारतीय समयानुसार) के कुछ देर बाद शुरू हुई और कम से कम दो घंटे तक चली।

पिछले हफ्ते भारत के रक्षा मंत्री और चीनी रक्षा मंत्री के बीच हुई बैठक 

पिछले एक सप्ताह से भी कम वक्त में दोनों देशों के बीच यह दूसरी उच्चस्तरीय द्विपक्षीय वार्ता है। मई की शुरुआत में वस्तविक नियंत्रण रेखा पर शुरू हुए गतिरोध के बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच यह पहली आमने-सामने की मुलाकात थी। इससे पहले मास्को में ही शुक्रवार को दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच बातचीत हुई थी। इससे पहले जयशंकर और वांग के बीच फोन पर 17 जून को बात हुई थी। उसके दो दिन पहले ही पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गये थे। इस झड़प में कुछ चीनी सैनिकों की भी मृत्यु हुई थी, लेकिन उन्होंने अपनी संख्या नहीं बतायी है। 

कुछ दिनों पहले 45 साल के बाद सीमा पर चली गोलियां

जयशंकर-वांग की बातचीत से दो दिन पहले मंगलवार (08 सितंबर) को भारतीय सेना ने कहा था कि चीनी सेना ने एक दिन पहले शाम में पैंगोंग झील क्षेत्र के दक्षिणी तट पर स्थित एक भारतीय चौकी की ओर बढ़ने का प्रयास किया और हवा में गोलियां चलाईं। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 45 साल के अंतराल में गोली चलने की यह पहली घटना थी। भारतीय सेना का बयान चीनी सेना के उस आरोप के बाद आया था जिसमें कहा गया था भारतीय सैनिकों ने एलएसी पार की और पैंगोंग झील के पास गोलीबारी की। भारतीय सेना ने उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था।

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