आईसीएआर-सीआईएआरआई, पोर्ट ब्लेयर की एक टीम ने इसके निदेशक डॉ एकनाथ बी चाकुरकर और अन्य वैज्ञानिकों के नेतृत्व में केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कई गांवों का दौरा किया और कृषक समुदाय के साथ बातचीत की।टीम ने क्षेत्र के दौरे के दौरान कृषक समुदाय से जैविक खेती पर विशेष जोर देने के साथ ही कृषि पद्धतियों के उन्नत तरीकों को अपनाने की अपील की।भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद - केंद्रीय द्वीपीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-सीआईएआरआई) बुनियादी और रणनीतिक अनुसंधान के माध्यम से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के महत्वपूर्ण कृषि, बागवानी, पशुधन और मत्स्य क्षेत्र की उत्पादकता में सुधार के लिए एक अनुसंधान आधार प्रदान करता है।पहले ध्यान द्वीप के लिए आत्मनिर्भरता प्राप्त करने पर केंद्रित था, लेकिन हाल के वर्षों में स्थिति बदल गई है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और कृषि पद्धतियों के बदलते परिदृश्य के कारण अब नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित किये बिना उत्पादकता को बढ़ाकर आत्मनिर्भर बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है।निदेशक चाकुरकर ने ग्रामीणों से कहा कि वे स्थानीय स्तर पर खेती को बढ़ावा देकर चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि द्वीपों की बागवानी आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली में आजीविका के विकल्प उपलब्ध कराने की अपार संभावनाएं हैं और यह कृषि-पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को समर्थन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।18 अगस्त को टीम ने ब्योदनाबाद पंचायत के किसानों से मुलाकात की और ग्रामीणों को तालाब, पॉलीहाउस, फल, सब्जियां, मसाले सहित नारियल आधारित खेती करने की सलाह दी। 19 अगस्त को टीम ने गुप्तापारा गांव के कृषक समुदाय से मुलाकात की और उनसे बातचीत की। टीम ने साथ ही खेतों में जलवायु अनुकूल तालाब आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली भी देखी।निदेशक ने कृषक समुदाय को आश्वासन दिया कि आईसीएआर-सीआईएआरआई, पोर्ट ब्लेयर और इसके कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को उनके सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए हमेशा तैयार हैं।
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