नई दिल्ली: ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर ने एक बार फिर सरकारी आदेशों को धता बता दिया है। खेडकर को मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) ने 23 जुलाई तक संस्थान में शामिल होने का आदेश दिया था। लेकिन पूजा खेडकर ने निर्धारित समय सीमा तक रिपोर्ट नहीं किया। दिल्ली में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद से खेडकर गायब हैं। उन्हें 23 जुलाई तक मसूरी स्थित अकादमी में उपस्थित रहना था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।
पिछले हफ्ते कदाचार के आरोपों की संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा "गहन जांच" के बाद "गलत बयानी और गलत तथ्य पेश करने" के लिए उनके खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया था।
क्या है मामला
पूजा खेडकर कथित रूप से फर्जी मानसिक और शारीरिक अस्वस्थता का सर्टिफिकेट लगाकर यूपीएससी की परीक्षा पास करने के आरोप में जांच का सामना कर रही हैं। खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने अपने मेंटल हेल्थ और आंखों की रौशनी को लेकर झूठे दस्तावेज लगाए। खेडकर पर ताकत के गलत इस्तेमाल का भी आरोप है। इतना ही नहीं खेडकर ने पुणे के अस्पताल से तीसरी बार मेडिकल सर्टिफिकेट लेने की कोशिश की जिससे इंकार कर दिया गया।
प्रोबेशन पीरियड में काम कर रहीं सिविल सर्विस अधिकारी खेडकर ने अगस्त 2022 में पुणे के अनुध हॉस्पिटल में शारीरिक रूप से अक्षम होने का सर्टिफिकेट पाने के लिए आवेदन किया था। इसके बाद खेडकर के कुछ टेस्ट हुए और अस्पताल ने उन्हें शारीरिक अक्षमता का प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया। जिस डॉक्टर ने खेडकर की जांच की थी उन्होंने कहा कि खेडकर को डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट देना संभव नहीं है।
जिस लोकोमोटर डिसेबिलिटी के प्रमाण पत्र के लिए खेडकर ने आवेदन किया था वह किसी भी प्रकार के सेरेब्रल पाल्सी या हड्डियों, जोड़ों या मसल्स में विकलांगता से जुड़ा है। लोकोमोटर डिसेबिलिटी से पीड़ित की चलने-फिरने की क्षमता प्रभावित होती है।
बता दें कि इससे पहले खेडकर ने शारीरिक अक्षमता से जुड़े दो प्रमाण लगाए थे। इसमें एक उनकी देखने की क्षमता और दूसरा मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा था। खेडकर ने सर्टिफिकेट संघ लोक सेवा आयोग के बेंचमार्क डिसेबिलिटी कैटेगरी के अंतर्गत लगाए थे।
ये सर्टिफिकेट अहमदनगर जिला अस्पताल ने जारी किए थे। दोनों प्रमाण पत्रों को अलग-अलग कमेटियों ने जारी किया था जिसमें एक को 2018 और दूसरे को 2021 में दिया गया। पूजा खेडकर महाराष्ट्र कैडर की 2023 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। अब वह आईएएस बनने के लिए अपनी मेंटल हेल्थ और आंखों की बीमारी से जुड़े झूठ बोलने के लिए जांच का सामना कर रही हैं।
पूजा खेडकर को यूपीएससी की तरफ से साल 2022 में 6 बार मेडिकल चेक-अप के लिए बुलाया गया लेकिन वह नहीं गईं। बाद में उन्होंने बाहर के एक मेडिकल सेंटर से एमआरआई रिपोर्ट हासिल किया और इसे सबमिट किया। आठ महीने की देरी होने के बावजूद 2023 में इस एमआरआई रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया।
पूजा खेडकर इस समय मीडिया की हेडलाइंस में बनी हुई हैं। वह विवादों में तब आईं जब ये खबर आई कि उन्होंने पुणे के जिलाधिकारी से अपने लिए एक विशेष सुविधाएं मांगी हैं जो कि उनके पद के लिए स्वीकृत ही नहीं हैं। 34 वर्षीय ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर अपनी निजी ऑडी कार पर लाल बत्ती और वीआईपी नंबर प्लेट का इस्तेमाल भी कर रही थीं।
इस मामले के सामने आने के बाद केंद्र ने एक एक सदस्यीय कमेटी बनाई है जो पूजा खेडकर के सभी दस्तावेजों की दोबारा जांच करेगी जो उन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा में अपनी जगह सुरक्षित करने और आईएएस बनने के लिए सबमिट किए थे।