जयपुर : अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख सैयद जैनुल आबेदीन ने कहा कि तालिबान ने अपने कृत्यों से पूरी दुनिया में इस्लाम को बदनाम किया है । उन्होंने कहा कि इस्लामिक कानून के नाम पर महिलाओं पर प्रतिबंध और हत्याओं का समर्थन नहीं किया जा सकता है और यह इस्लाम में एक अपराध है ।
अजमेर धर्मस्थल के प्रमुख ने जोर देकर कहा कि तालिबान की आतंकी और तानाशाही गतिविधियां दुनिया में इस्लाम के प्रति नफरत को बढ़ावा दे रही हैं । उन्होंने कहा, 'तालिबान शरीयत (इस्लामी कानून) के नाम पर आतंकी गतिविधियों से इस्लाम को बदनाम कर रहा है । हमारे कानून में महिलाओं के साथ जबरन निकाह करना और महिलाओं-बच्चों पर जुल्म करना नहीं है । ऐसे लोग अपने स्वार्थ के लिए ऐसा करते हैं ।
आपको बताते दें कि 15 अगस्त को राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश से भाग जाने के बाद तालिबान के राजधानी में प्रवेश के साथ अफगानिस्तान सरकार गिर गई । तालिबान लड़ाकों ने पूरे देश में दहशत मचा रखी है । देश के लोग अफगानिस्तान छोड़कर भागने के लिए अमादा है । वे बस किसी तरह से तालिबान के कहर से दूर भाग जाना चाहते हैं ।
अबेदिन ने कहा कि अफगानिस्तान क्रूर तालिबान के हाथों में आ गया है और इस देश में विनाश, महिलाओं पर प्रतिबंध और हत्याओं का शासन शुरू कर दिया है । उन्होंने कहा कि तालिबान ने अपने एजेंडे के अनुसार आतंकवाद और शासन के अपने एजेंडे को पूरा करने के लिए कानून की अलग-अलग व्याख्या की है ।
आबेदिन ने पीटीआई से बात करते हुए कहा कि "मैं उन लोगों की कड़ी निंदा करता हूं जो तालिबान और उनकी आतंकवादी विचारधारा के अवैध अधिकार का समर्थन और स्वागत करते हैं। भारत का मुस्लिम, एक शांतिपूर्ण नागरिक होने के नाते तालिबान की विचारधारा का समर्थन और स्वागत नहीं करता है, जो इस्लाम की बुनियादी शिक्षाओं के खिलाफ है । प्रमुख ने कहा कि लोगों को हमेशा राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देनी चाहिए । उन्होंने कहा कि पहला कर्तव्य अपने देश को बचाना, एकता और शांति बनाए रखना और फिर अपने बारे में सोचना होना चाहिए ।