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नानावती आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा- दो समुदायों के धड़ों में नफरत की वजह से गुजरात दंगे हुए

By भाषा | Updated: December 12, 2019 05:57 IST

गुजरात दंगेः आयोग की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जीटी नानावती ने की और गुजरात उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अक्षय मेहता इसके सदस्य थे।

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ठळक मुद्देगुजरात में वर्ष 2002 के दंगों की जांच करने वाले नानावती आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हिंदू और मुस्लिम समुदाय के कुछ धड़ों के बीच पनपी नफरत की गहरी जड़ों की वजह से गुजरात में दंगे हुए।आयोग ने ऐसी भावनाओं को खत्म करने के लिए लोगों को बड़े पैमाने पर जागरूक करने की सिफारिश की है।

गुजरात में वर्ष 2002 के दंगों की जांच करने वाले नानावती आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हिंदू और मुस्लिम समुदाय के कुछ धड़ों के बीच पनपी नफरत की गहरी जड़ों की वजह से गुजरात में दंगे हुए। आयोग ने ऐसी भावनाओं को खत्म करने के लिए लोगों को बड़े पैमाने पर जागरूक करने की सिफारिश की है।

आयोग ने बेहतरीन साजो सामान से लैस और पर्याप्त संख्या में पुलिस जवानों की उपस्थिति सुनिश्चित करने, धर्म के वास्तविक संदेशों के बारे में लोगों को शिक्षित करने, सांप्रदायिक दंगों से होने वाले नुकसान बताने और दंगों की रिपोर्टिंग के दौरान मीडिया को संयमित रहने की सिफारिश की है। ये सिफारिशें दो सदस्यीय आयोग की ओर से सौंपी गई 2,500 पन्नों की रिपोर्ट का हिस्सा है जिसे बुधवार को गुजरात विधानसभा में पेश किया गया।

आयोग की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जीटी नानावती ने की और गुजरात उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अक्षय मेहता इसके सदस्य थे। आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा कि अनुशासित और सुसज्जित जवानों की पर्याप्त संख्या ऐसे दंगों को नियंत्रित करने में सहायक होती है। रिपोर्ट के मुताबिक, दंगों के दौरान हुई हिंसा से जुड़े सबूतों पर विचार करने के बाद हमने पाया कि पुलिस की अनुपस्थिति या उनकी अपर्याप्त संख्या की वजह से हिंसा पर उतारू भीड़ का उत्साह बढ़ा।

आयोग ने कहा कि राज्य सरकार पुलिस बल की मजबूती को सुनिश्चित करने के लिए तुरंत खाली पड़े पदों को भरे। आयोग ने पुलिस व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने की सिफारिश की है। रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पुलिस थानों में पर्याप्त अधिकारियों और पुलिसकर्मियों की तैनाती हो और वे संचार, वाहन और हथियारों से ठीक से लैस हो।

आयोग ने कहा कि गोधरा की घटना (2002 में साबरमती एक्सप्रेस को जलाने की घटना में जिसमें 59 लोगों की मौत हुई थी) के बाद हुई हिंसा की वजह हिंदू और मुस्लिम समुदाय के कुछ हिस्सों में नफरत की गहरी जड़े थी जिसका इस्तेमाल कुछ धार्मिक नेताओं, संगठनों और असमाजिक तत्वों ने नफरत फैलाने के लिए किया।

रिपोर्ट में कहा गया कि गरीब और अशिक्षित लोग आसानी से इन धार्मिक नेताओं के झांसे में आ जाते हैं या बिना घटनाओं के प्रभाव को जाने सांप्रदायिक हिंसा में शामिल हो जाते हैं। आयोग ने कहा, ‘‘समाज की इस कमजोरी को लोगों को धर्म की असली शिक्षा से शिक्षित करके ही दूर किया जा सकता है। गौरतलब है कि वर्ष 2002 में हुए गुजरात दंगों में करीब एक हजार लोगों की मौत हुई थी जिनमें अधिकतर अल्पसंख्यक समुदाय से संबद्ध रखते थे। 

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