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'एक राष्ट्र, एक चुनाव': 8 सदस्यीय समिति में अधीर रंजन चौधरी और गुलाम नबी आजाद को भी मिली जगह, जानिए और कौन है शामिल

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: September 2, 2023 18:44 IST

समिति में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, पूर्व राज्यसभा एलओपी गुलाम नबी आज़ाद, लोससभा के पूर्व सचिव और संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप और अन्य को समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है।

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ठळक मुद्दे'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की संभावनाएं तलाशने के लिए 8 सदस्यीय समिति का गठनकांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, पूर्व राज्यसभा एलओपी गुलाम नबी आज़ाद भी सदस्यपूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द को समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया

नई दिल्ली: भारत सरकार ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की संभावनाएं तलाशने के लिए 8 सदस्यीय समिति का गठन कर दिया है।  पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द को समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, पूर्व राज्यसभा एलओपी गुलाम नबी आज़ाद, 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष रहे एनके सिंह, लोससभा के पूर्व सचिव और संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और संजय कोठारी को समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है।

बता दें कि केंद्र सरकार के प्रमुख एजेंडे में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' भी शामिल है। फिलहाल इस पर बहस भी शुरू हो गई है। भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने इस बारे में राय व्यक्त करते हुए कहा कि प्रस्ताव को लागू करना संभव है लेकिन कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। उन्होंने कहा, अगर केंद्र इसे लागू करना चाहता है, तो संविधान और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में कुछ संशोधन करने होंगे। इसके साथ ही, हमें वीवीपैट और ईवीएम के निर्माण और अतिरिक्त तैनाती के लिए अतिरिक्त धन और समय की आवश्यकता होगी। अर्धसैनिक बलों की भी आवश्यकता होगी।”

उन्होंने कहा, "यह संभव है। हमें बस एक रोडमैप का पालन करना होगा और सभी राजनीतिक दलों को अपने साथ लाना होगा।” पूर्व सीईसी ने यह भी याद दिलाया कि 'एक राष्ट्र एक चुनाव' पर चर्चा पहली बार 2014-15 में हुई थी जब चुनाव आयोग से इसकी संभावना के बारे में पूछा गया था। तदनुसार, चुनाव आयोग ने सरकार को सूचित किया था कि 'एक राष्ट्र एक चुनाव' 1952, 1957, 1962 और 1967 में हुआ था जब लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे।

हालांकि देश के कई राजनीतिक दल और नेता इसे केवल ध्यान भटकाने वाला कदम बता रहे हैं।  "एक राष्ट्र, एक चुनाव" की व्यवहार्यता तलाशने के लिए केंद्र के प्रयासों पर तंज कसते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराकर इसका परीक्षण करना चाहिए। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बने विपक्ष के गठबंधन इंडिया के अधिकांश नेता सरकार के इस कदम के खिलाफ हैं। 

टॅग्स :मोदी सरकारअमित शाहअधीर रंजन चौधरीगुलाम नबी आजाद
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