नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने रविवार को कहा कि वैश्विक भूख सूचकांक (जीएचआई) में उपयोग किए जाने वाले एक प्रमुख संकेतक को बढ़ा चढ़ाकर दिखाया गया है क्योंकि केवल 3.9 फीसदी आंगनवाड़ी बच्चे अल्पपोषित पाए गए हैं.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि आंगनबाडी मंच पर पंजीकृत लाभार्थियों के आंकड़ों में 6 महीने से 6 साल की उम्र के 7.79 करोड़ बच्चे शामिल हैं. पोषण ट्रैकर पर रिपोर्ट किए गए कुपोषित बच्चों की संख्या 30.27 लाख है जो केवल 3.9 फीसदी है.
मंत्रालय ने कहा कि ये लाभार्थी समाज के सबसे गरीब तबके से आते हैं और उनमें अल्पपोषण का निम्न स्तर निश्चित रूप से दर्शाता है कि गलत तरीके से गणना के कारण भारतीय डेटा अत्यधिक बढ़ा चढ़ाकर दिखाया गया है.
जीएचआई 2021 ने भारत को 116 देशों में से 101वें स्थान पर रखा है. यह सूचकांक चार संकेतकों कुपोषण, बर्बादी, स्टंटिंग और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर पर आधारित है.
भारत के प्रदर्शन को केवल अल्पपोषण के लिए बिगड़ते दिखाया गया है, जिसे सरकार ने चुनौती दी है. सूचकांक में इस्तेमाल किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुपोषण की व्यापकता 2017-2019 में 14 फीसदी से बढ़कर 2018-2020 में 15.3 फीसदी हो गई है.
इससे पहले जीएचआई का सह-प्रकाशन करने वाले जर्मन एनजीओ वेल्टहंगरलाइफ (डब्ल्यूएचएच) ने शनिवार को सरकार के इस आरोप को खारिज कर दिया था कि भारत की 16 सबसे खराब देशों में रैंकिंग एक जनमत सर्वेक्षण पर आधारित थी. उसने यह भी बताया कि सरकार ने 'अल्पपोषण' को 'कुपोषण' मानकर भी गलती की.