ब्लॉग: दुर्व्यवहार से उत्पीड़ित न हो वृद्धावस्था
By ललित गर्ग | Published: June 15, 2024 11:04 AM2024-06-15T11:04:52+5:302024-06-15T11:07:07+5:30
एक बड़ा प्रश्न है कि वृद्धों की उपेक्षा एवं दुर्व्यवहार के इस गलत प्रवाह को किस तरह से रोकें? क्योंकि सोच के गलत प्रवाह ने न केवल वृद्धों का जीवन दुश्वार कर दिया है बल्कि आदमी-आदमी के बीच के भावनात्मक फासलों को भी बढ़ा दिया है।
देश ही नहीं, दुनिया में वृद्धों के साथ दुर्व्यवहार, प्रताड़ना, हिंसा बढ़ती जा रही है, जो जीवन को नरक बनाए हुए है। बच्चे अपने माता-पिता के साथ नहीं रहना चाहते। यही पीड़ा वृद्धजन को पल-पल की घुटन, तनाव एवं उपेक्षा से निकलकर वृद्धाश्रम जाने के लिए विवश करती है। संतान द्वारा बुजुर्गों की आवश्यकताओं को पूरा न करना गरिमा के साथ स्वतंत्र जीवन जीने जैसे मानवाधिकारों का हनन है।
संयुक्त परिवारों के विघटन और एकल परिवारों के बढ़ते चलन ने इस स्थिति को नियंत्रण से बाहर कर दिया है। एक बड़ा प्रश्न है कि वृद्धों की उपेक्षा एवं दुर्व्यवहार के इस गलत प्रवाह को किस तरह से रोकें? क्योंकि सोच के गलत प्रवाह ने न केवल वृद्धों का जीवन दुश्वार कर दिया है बल्कि आदमी-आदमी के बीच के भावनात्मक फासलों को भी बढ़ा दिया है। वृद्धों के जीवन से जुड़ी इस विकट समस्या के समाधान के लिए ही विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस हर साल 15 जून को मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत सबसे पहले 2011 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा बुजुर्गों द्वारा अनुभव किए जाने वाले दुर्व्यवहार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई थी।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार को ‘एकल, या बार-बार की गई हरकत, या उचित कार्रवाई की कमी के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो किसी भी रिश्ते में घटित होती है, जहां विश्वास की उम्मीद होती है, जो किसी बुजुर्ग व्यक्ति को नुकसान या परेशानी पहुंचाती है’। यह एक वैश्विक सामाजिक एवं पारिवारिक मुद्दा है जो दुनिया भर में लाखों बुजुर्गों के स्वास्थ्य और मानवाधिकारों को प्रभावित करता है और एक ऐसा मुद्दा है जिस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ध्यान देने की आवश्यकता है।
विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस 2024 की थीम ‘सभी पहचानों की बुजुर्ग पीड़ितों के लिए सम्मान, सुरक्षा और कल्याण को प्राथमिकता देना’ है। याद रखें, बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार को रोकने में छोटे-छोटे कदम भी अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन लोगों की आवाज बनें जो खुद के लिए बोलने में सक्षम नहीं हैं, दूसरों को शिक्षित करें और बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए काम करने वाले संगठनों का समर्थन करें। साथ मिलकर, हम एक ऐसी दुनिया बना सकते हैं जहां हर बुजुर्ग अपने बुढ़ापे को गरिमा, आत्मसम्मान, सुरक्षा और स्वस्थता के साथ जी सके।