जबलपुर, एक अक्टूबर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को अस्पतालों में चिकित्सकों और चिकित्साकर्मियों की सुरक्षा को अधिक मजबूत बनाने के लिए ‘मप्र चिकित्सा एवं चिकित्सा सेवा से संबंधित व्यक्तियों की सुरक्षा अधिनियम-2008’ के प्रावधानों पर फिर से विचार करने का निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश एम रफीक और न्यायमूर्ति वीके शुक्ला की पीठ ने हाल ही में यह निर्देश जारी किया है ।
इसमें कहा गया है कि इस अधिनियम को और अधिक मजबूत बनाने के लिए प्रदेश सरकार महामारी रोग अधिनियम 1897 में समाविष्ठ किए गए संशोधन को 2008 के अधिनियम में शामिल करने पर विचार कर सकती है।
उच्च न्यायालय का का निर्देश मध्यप्रदेश के सतना जिले में एम पी बिड़ला अस्पताल और प्रियंवदा बिड़ला कैंसर अनुसंधान संस्थान के प्रमुख डॉ संजय माहेश्वरी के 18 नवंबर 2013 के एक पत्र पर दायर याचिका पर आया है।
पत्र में माहेश्वरी ने उल्लेख किया कि 11 नवंबर 2013 की मध्यरात्रि को एक हादसे में शामिल व्यक्ति को गंभीर चोटें आईं और डॉक्टरों के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद तीन से पांच घंटे के बाद उसकी मृत्यु हो गई।
पत्र के अनुसार मृतक के परिजन ने आंदोलन करना शुरु कर दिया और भीड़ ने अस्पताल के साथ-साथ आवासीय परिसर में तोड़फोड़ की। डॉक्टरों, पैरामेडिकल और अन्य कर्मचारियों की पिटाई की।
पत्र सह याचिका में कहा गया है कि मृतक के परिजनों ने याचिकाकर्ता और अस्पताल के अन्य कर्मचारियों के खिलाफ भादंवि की धारा 304 के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पुलिस पर कथित रुप से दबाव डाला।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।