नई दिल्ली: पूर्व ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर ने दिल्ली हाईकोर्ट में दावा कर दिया है कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में अयोग्य ठहराने की शक्ति नहीं है। गौरतलब है कि इस पूर्व अधिकारी पर यूपीएससी की ओर से उन पर धांधली और गलत जानकारी देते हुए ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) और विकलांगता कोटा गलत तरीके से प्राप्त करना शामिल था।
यूपीएससी ने पिछले महीने पूजा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से वंचित कर दिया था। आयोग ने आरोप लगाया था कि उन्होंने आरक्षण लाभ पाने के लिए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के लिए अपने आवेदन में गलत जानकारी दी थी।
पूजा खेडकर ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले में अग्रिम जमानत की मांग कर रही पूजा खेडकर ने यूपीएससी द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों पर अदालत में दायर जवाब में कहा, "एक बार प्रोबेशनरी ऑफिसर के रूप में चयनित और नियुक्त होने के बाद यूपीएससी के पास उम्मीदवारी को अयोग्य ठहराने का अधिकार नहीं है।" उन्होंने कहा कि अब केवल केंद्र सरकार का कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ही उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।
संघ लोक सेवा आयोग ने दावा किया है कि पूजा खेडकर ने सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार के लिए छह बार से ज्यादा बार प्रतिस्पर्धी योग्यता परीक्षा दी। उसने अपना और अपने माता-पिता का नाम बदलकर ऐसा किया, यही वजह है कि आयोग ने कहा कि वह उल्लंघन का पता नहीं लगा सका।
पूजा खेडकर ने अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि साल 2012 से 2022 तक उनके नाम या उपनाम में कोई बदलाव नहीं हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि यूपीएससी को अपने बारे में कोई गलत जानकारी नहीं दी है।
उन्होंने कोर्ट से कहा, "UPSC ने बॉयोमेट्रिक डेटा के माध्यम से मेरी पहचान वेरिफाई की। आयोग ने मेरे दस्तावेजों को फर्जी या गलत नहीं पाया। मेरा शैक्षिक प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, जन्म तिथि और अन्य व्यक्तिगत जानकारी बिल्कुल सही पाई गई।"
अपने जवाब में पूर्व आईएएस ट्रेनी अधिकारी ने कहा, "डीओपीटी द्वारा सभी आवश्यक सत्यापन भी किए गए थे। डीओपीटी के अनुसार, एम्स (AIIMS DELHI) द्वारा गठित एक मेडिकल बोर्ड ने मेरी मेडिकल जांच की। बोर्ड ने पाया कि मेरी विकलांगता 47% तक है और पीडब्ल्यूबीडी (बेंचमार्क विकलांगता वाले व्यक्ति) श्रेणी के लिए आवश्यक 40 फीसदी विकलांगता से अधिक है।"