भारतीय वायु सेना के पूर्व प्रमुख बीरेंद्र सिंह धनोआ (बी एस धनोआ) ने कहा है कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के एक साल पूरे होने पर कहा, "एक साल बीत गए हैं और हम इसे हम संतुष्टि के साथ देखते हैं। हमने काफी कुछ सीखा है, बालाकोट ऑपरेशन के बाद कई चीजें लागू की गई हैं।" धनोआ ने कहा,' हमारा संदेश था कि हम घुसकर मारेंगे, चाहे आप कहीं भी हो...उसमें हम सफल हुए हैं। वरना हमला तो हम अपनी सरजमी पर भी रहकर कर सकते थे। पाकिस्तान ने कभी सोचा नहीं होगा कि हम ऐसा करेंगे।'
उन्होंने कहा, "बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद भारतीय चुनावों के दौरान कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ, क्योंकि वे डर चुके थे कि हम दोबारा उसी तरीके से या उससे भी जोरदार तरीके से जवाब देंगे।"
धनोआ ने कहा, पाकिस्तानी प्रतिष्ठानों एवं आतंकवादी संगठनों को यह बताने के लिए था कि भारत में किसी भी आतंकवादी हमले की ‘‘कीमत चुकानी पड़ेगी’’ और प्रभावी तरीके से यह संदेश पड़ोसी मुल्क को समझा दिया गया है।
जानें पुलवामा हमला और बालाकोट एयर स्ट्राइक के बारे में?
14 फरवरी 2019 को पुलवामा जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर करीब 2500 जवानों को लेकर 78 बसों में सीआरपीएफ की 76 वीं बटालियन का काफिला गुजर रहा था। सड़क की दूसरी तरफ से आकर जैश-ए- मोहम्मद के आतंकी की कार ने सीआरपीएफ जवानों के काफिले को टक्कर मारा। घटना में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। घटना की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।
इस हमले को अंजाम देने वाला आत्मघाती हमलावर आतंकी आदिल अहमद डार था। आतंकी आदिल अहमद डार ही उस कार को चला रहा था, जिसमें विस्फोटक थे। इसने खुद को इस हमले में उड़ा लिया। पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली।
पुलवामा हमले के ठीक 12 दिन भारतीय सेना द्वारा एयर स्ट्राइक
पुलवामा हमले के ठीक 12 दिन बाद 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान स्थित बालाकोट में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद कै ठिकानों पर एयरस्ट्राइक किया। इस एयरस्ट्राइक के बाद भारतीन सेना ने दावा किया कि करीब 300 आतंकवादी मारे गए हैं। 25 फरवरी की सुबह यानी अगले दिन परमाणु हथियारों से लैस दोनों देशों के बीच जंग का खतरा पैदा हो गया। हवाई झड़प के बाद पाकिस्तान ने विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमना को अपने कब्जे में ले लिया। इससे दोनों देशों के बीच गंभीर सैन्य संकट पैदा हो गया। लेकिन, प्रमुख वैश्विक शक्तियों और भारत द्वारा इस्लामाबाद को कड़ी चेतावनी देने के चलते दो दिनों बाद उन्हें रिहा किए जाने से आसन्न खतरा टल गया।