लाइव न्यूज़ :

Flashback 2019: पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के गढ़ में बीजेपी की सेंध, चुनावी हिंसा, सीएए विरोधी प्रदर्शन रहे खबरों में

By भाषा | Updated: December 29, 2019 14:55 IST

सत्ता विरोधी लहर के सहारे भाजपा ने इस बार के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में 42 में से 18 संसदीय सीटें जीतीं जबकि 2014 में पार्टी राज्य में सिर्फ दो सीटें ही जीत पाई थी।

Open in App
ठळक मुद्देभाजपा ने भी रैली निकाली और दावा किया कि बनर्जी संशोधित कानून के खिलाफ लोगों को भरमाने का प्रयास कर रही हैं।मई में चक्रवात ‘‘फोनी’’ और नवंबर में चक्रवात ‘बुलबुल’ के प्रभाव के चलते भीषण बारिश की चपेट में आने से राज्य में कई लोग मारे गए और व्यापक क्षति हुई। 

पश्चिम बंगाल में राजनीति के लिहाज से 2019 काफी उथल पुथल भरा रहा। इस साल लोकसभा चुनावों में भाजपा ने जहां राज्य में तृणमूल कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाई तो वहीं ममता बनर्जी के खेमे ने भगवा पार्टी को रोकने के लिए ‘‘सर्व-समावेशी’’ से अपना सुर बदलकर ‘‘बंगाली अस्मिता’’ पर केंद्रित कर दिया।

सत्ता विरोधी लहर के सहारे भाजपा ने इस बार के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में 42 में से 18 संसदीय सीटें जीतीं जबकि 2014 में पार्टी राज्य में सिर्फ दो सीटें ही जीत पाई थी। राष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाली तृणमूल कांग्रेस की लोकप्रियता में तेज गिरावट देखी गई और पार्टी की झोली में इस बार सिर्फ 22 लोकसभा सीटें आईं जो पिछली बार की तुलना में 12 सीटें कम थीं। विपक्षी कांग्रेस और वाम मोर्चा क्रमश: तीसरे और चौथे स्थान पर रहे।

राजनीतिक रूप से उथल पुथल वाले राज्य में उत्तर प्रदेश और बिहार के साथ सात चरणों में आम चुनाव हुए थे। चुनाव के दौरान राज्य में हिंसा, तोड़फोड़ और दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच लगातार झड़पें हुईं, जिसमें कई लोग घायल हुए। स्थिति तनावपूर्ण रही। भाजपा की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने 2021 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तुरंत चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से संपर्क किया। इसके बाद उनकी सरकार ने लोगों की शिकायतें और उनके सुझाव सुनने के लिए ‘दीदी के बोलो’ (दीदी को बोलो) सहित कई कार्यक्रम शुरू किए।

अपनी पकड़ बनाए रखने के एक और प्रयास के तहत बनर्जी ने केंद्र द्वारा ‘‘हिंदी को थोपने’’ के कदम का विरोध करते हुए ‘‘बंगाली अस्मिता’’ का भाव जगाया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक साझा भाषा का आह्वान करते हुए कहा कि हिंदी देश के अधिकतर भाग में बोली जाती है और यह समूचे देश को एकजुट कर सकती है। हालांकि बाद में उन्होंने स्पष्टीकरण दिया कि उनका आशय क्षेत्रीय भाषाओं पर हिंदी को थोपने से नहीं था।

तृणमूल प्रमुख ने सौरव गांगुली के बीसीसीआई की कमान संभालने और अभिजीत बनर्जी के नोबल पुरस्कार जीतने को बंगालियों के लिए गौरव के क्षण के तौर पर पेश किया। असम में अंतिम एनआरसी के प्रकाशन और 19 लाख लोगों के नाम इसमें नहीं होने के मुद्दे को भी बनर्जी ने भगवा खेमे के खिलाफ पलटवार के सुनहरे मौके के तौर पर इस्तेमाल किया। इस सूची में शामिल नहीं किए गए लोगों में अधिकतर हिंदू बंगाली हैं।

उन्होंने शाह के उस बयान का भी विरोध किया जिसमें उन्होंने कहा था कि अवैध घुसपैठियों को भगाने के लिए इसी तरह का कदम बंगाल और देश भर में भी उठाया जाएगा। भाजपा को ‘‘बंगाल विरोधी पार्टी’’ कहते हुए उन्होंने खुद को एकमात्र रक्षक के तौर पर पेश किया। इस तरह के कदमों का राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी को फायदा भी पहुंचा जो नवंबर में तीन विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में जीत दर्ज करने में कामयाब रही।

साल के आखिर में नागरिकता (संशोधन) विधेयक के संसद में पारित होने को राष्ट्रव्यापी राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है। बहरहाल राज्य में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं। फर्जी खबरों पर रोक के लिए राज्य के कई हिस्सों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई और भीड़ हिंसा पर लगाम लगाने के लिए चौकसी बढ़ा दी गई। तृणमूल कार्यकर्ता अपनी प्रमुख के नेतृत्व में भाजपा के खिलाफ सड़कों पर उतरे।

भाजपा ने भी रैली निकाली और दावा किया कि बनर्जी संशोधित कानून के खिलाफ लोगों को भरमाने का प्रयास कर रही हैं। राजनीतिक उथल पुथल के बीच राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने जुलाई में कार्यभाल संभाला, हालांकि सत्तारूढ़ तृणमूल के साथ राज्यपाल की जुबानी जंग चलती रही। उन्होंने कई मौकों पर ट्विटर पर राज्य सरकार के फैसलों और राजनीति की आलोचना की।

साल की शुरुआत में सीबीआई ने कई करोड़ रुपये के शारदा चिटफंड घोटाला मामले में कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से पूछताछ का प्रयास किया। लेकिन मुख्यमंत्री उनके बचाव में उतर आईं और धरना दिया। उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार ‘‘संविधान और संघवाद की मूल भावना’’ का गला घोंट रही है।

कश्मीर के कुलगाम जिले में अक्टूबर के महीने में आतंकवादियों ने राज्य के पांच प्रवासी मजदूरों की गोली मारकर हत्या कर दी। ये सभी मुर्शिदाबाद जिले के रहने वाले थे। इस बीच मई में चक्रवात ‘‘फोनी’’ और नवंबर में चक्रवात ‘बुलबुल’ के प्रभाव के चलते भीषण बारिश की चपेट में आने से राज्य में कई लोग मारे गए और व्यापक क्षति हुई। 

टॅग्स :फ्लैश बैक 2019ममता बनर्जीभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)टीएमसीपश्चिम बंगालईयर एंडर 2019
Open in App

संबंधित खबरें

भारत'अमित शाह ने बंगाल में राष्ट्रपति शासन का आधार तैयार करने के लिए SIR का इस्तेमाल किया', ममता बनर्जी ने लगाया आरोप

भारतTMC ने MLA हुमायूं कबीर को पार्टी ने किया सस्पेंड, बंगाल में बाबरी मस्जिद बनाने पर दिया था बयान

भारतक्या नंदीग्राम सीट से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे अभिषेक बनर्जी?, 2026 में बन सकते पश्चिम बंगाल सीएम?

क्राइम अलर्ट3 माह पहले दोस्ती, रात 9 बजे बस स्टॉप पर इंतजार, 3 लोग कार से आए और जबरन बैठाया, मादक पदार्थ देकर छेड़छाड़, अल्ताफ आलम अरेस्ट और 2 की तलाश जारी

क्रिकेटSyed Mushtaq Ali T20: 52 गेंद, 148 रन, 8 चौके और 16 छक्के?, अभिषेक शर्मा से दहला बंगाल, 12 गेंद में फिफ्टी, मोहम्मद शमी ने 24 गेंद में लुटाए 61 रन

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई