Exclusive: धारा 370 हटाए जाने की अनकही दास्तान, कैसे जम्मू कश्मीर पर एक बड़ी संवैधानिक भूल होने से बची!

By हरीश गुप्ता | Published: January 31, 2020 10:31 AM2020-01-31T10:31:05+5:302020-01-31T15:24:31+5:30

गृह मंत्री अमित शाह की बैठक में एक संयुक्त सचिव ने फुसफुसा कर कहा कि जम्मू-कश्मीर पर अनुच्छेद 370 को निरस्त करना लोकसभा की पूर्व स्वीकृति के बिना अवैध होगा.

Exclusive: The untold story of the removal of Article 370, how a major constitutional mistake has been avoided on Jammu and Kashmir! | Exclusive: धारा 370 हटाए जाने की अनकही दास्तान, कैसे जम्मू कश्मीर पर एक बड़ी संवैधानिक भूल होने से बची!

लोकसभा में भाषण देते अमित शाह (फाइल फोटो)

Highlightsएक सजग अधिकारी ने संवैधानिक प्रावधान पर ध्यान दिला कर गृह मंत्री को बाद में संभावित शर्मिंदगी से बचा लिया. लोकसभा से विधायी शक्ति हासिल कर शाह राज्यसभा वापस लौटे और सदन में प्रस्ताव पेश किया.

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के लिए राज्यसभा में विधेयक पारित करवाने के दौरान 5 अगस्त को गृह मंत्री अमित शाह एक बड़ी संवैधानिक चूक करने से बाल- बाल बचे. एक सजग अधिकारी ने संवैधानिक प्रावधान पर ध्यान दिला कर गृह मंत्री को बाद में संभावित शर्मिंदगी से बचा लिया. यह जानकारी अब सामने आई है.

वास्तव में, अमित शाह इस बात से बहुत खुश थे कि सरकार को साधारण बहुमत नहीं होने के बावजूद उच्च सदन में बिल पारित करवाने में सफलता मिल रही है. एक के बाद एक कई मंत्री, संसद भवन स्थित अपने कक्ष में चाय पीने आए अमित शाह को बधाई देने पहुंचे थे,शाम के लगभग 5 बजे थे जब वहीं मौजूद एक संयुक्त सचिव ने फुसफुसा कर कहा कि जम्मू-कश्मीर पर अनुच्छेद 370 को निरस्त करना लोकसभा की पूर्व स्वीकृति के बिना अवैध होगा.

मंत्रियों और अधिकारियों से भरे कक्ष में अचानक सनाका खिंच गया. शाह के पसंदीदा मंत्रियों में से एक ने इस नागवार टिप्पणी के लिए संयुक्त सचिव की खिंचाई भी की .उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को रद्द से संबंधित जुड़वा विधेयक विशेषज्ञों ने तय प्रक्रियाओं के अनुरूप तैयार किया है ऐसे में इसमे कोई नया तत्व जोड़ने की जरूरत नहीं है. लेकिन शाह ने इसे अन्यथा न लेते हुए अधिकारी को अपनी बात रखने को कहा.

संयुक्त सचिव ने बताया कि चूंकि अनुच्छेद 370 को केवल जम्मू-कश्मीर संविधान सभा या जम्मू-कश्मीर विधानसभा द्वारा पूर्व की अनुपस्थिति में ही निरस्त किया जा सकता है, इसलिए राज्य सभा इसे निरस्त नहीं कर सकती. अधिकारी ने बताया कि सदन को जम्मू और कश्मीर विधानसभा की शक्तियों के साथ सदन को अधिकृत करने के लिए एक प्रस्ताव लोकसभा में रखा जाना चाहिए. एक बार यह हो जाने के बाद, जुड़वां बिल पारित किए जा सकते हैं. संयुक्त सचिव का कथन एकदम सही था. लेकिन इससे एक नई समस्या पैदा हो गई और इसमे बहुत सारी औपचारिकताएं पूरी की जानी थीं.

यह भी जानकारी मिली कि लोकसभा में इस समय सरोगेसी बिल पर चर्चा चल रही है. अमित शाह लोकसभाध्यक्ष के पास पहुंचे और सारी स्थिति बयां की.लोकसभाध्यक्ष इस पर सहमत हो गए . सदन में सरोगेसी विधेयक पर चर्चा रोक कर संसद में जम्मू-कश्मीर विधानसभा की शक्तियां समावेशित करने संबंधी प्रस्ताव पेश करने की अनुमति दी गई. उस समय विपक्ष के ज्यादा सांसद भी सदन में मौजूद नहीं थे .

द्रमुक सांसद के टी आर बालू ने इस प्रस्ताव को पेश किए जाने का विरोध किया लेकिन सतारूढ़ दल प्रस्ताव लाने और उसे पारित करवाने में सफल रहा. लोकसभा से विधायी शक्ति हासिल कर शाह राज्यसभा वापस लौटे और सदन में प्रस्ताव पेश किया. इसके बाद जो हुआ वह इतिहास बन गया है.

Web Title: Exclusive: The untold story of the removal of Article 370, how a major constitutional mistake has been avoided on Jammu and Kashmir!

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