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एक्सक्लूसिव: बीजेपी सांसदों ने आर्म्स एक्ट विधेयक को ठंडे बस्ते में डालने के लिए किया मजबूर

By हरीश गुप्ता | Updated: December 9, 2019 07:28 IST

राजपूत और जमींदार समुदाय से ताल्लुक रखने वाले के सांसदों ने कहा कि वे अपने आलीशान बंगलों में प्राचीन और कीमती आग्नेयास्त्र रखते हैं.

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ठळक मुद्देयह विधेयक किसी व्यक्ति के लिए तीन हथियार रखने की अनुमति को घटाकर एक हथियार पर सीमित करता है.इस संशोधन विधेयक के तहत अपराध के लिए सजा सात साल से लेकर उम्रकैद बढ़ जाती है.

नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले महीने के आखिर में लोकसभा में धूमधाम के साथ पेश किए गए आर्म्स (संशोधन) विधेयक 2019 को अपने सांसदों के विरोध के मद्देनजर ठंडे बस्ते में डालने का फैसला किया है. बताया जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की महत्वपूर्ण बैठक में इस पर जताई जा रही चिंताओं को दूर करने की कोशिश की थी, जहां इस विधेयक को मंजूरी के लिए लाया गया था.

खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल का कहना था कि विधेयक की कुछ धाराओं खासकर किसी भी व्यक्ति के लिए तीन आग्नेयास्त्र (फायर आर्म) की संख्या घटाकर एक करने पर पुनर्विचार करना चाहिए. हालांकि, प्रधानमंत्री का मानना था कि आत्मरक्षा के लिए एक से अधिक हथियार की आवश्यकता नहीं है. मंत्रिमंडल ने जब विधेयक को मंजूरी दे दी, तो केंद्रीय गृह मंत्रालय इस मामले में आगे बढ़ गया. यह संशोधन विधेयक 29 नवंबर को लोकसभा में पेश किया गया. इसे उसी दिन पारित किया जाना था. हालांकि, सभी मर्यादाएं उस वक्त टूट गईं जब बड़ी संख्या में भाजपा सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला पर धावा बोल दिया. यह कहते हुए कि इससे संकटग्रस्त राज्यों में लोगों की सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ेगा.

राजपूत और जमींदार समुदाय से ताल्लुक रखने वाले के सांसदों ने कहा कि वे अपने आलीशान बंगलों में प्राचीन और कीमती आग्नेयास्त्र रखते हैं. शोपीस में रखे ये हथियार सदियों पुराने हैं जिन्हें नए कानून के दायरे में नहीं रखना चाहिए. इस विधेयक के जरिये आर्म्स एक्ट 1959 में संशोधन का प्रावधान है जिसमें प्रति व्यक्ति हथियार का लाइसेंस कम करने और इस कानून के तहत कुछ अपराधों के लिए दंड में वृद्धि करना है.

यह विधेयक किसी व्यक्ति के लिए तीन हथियार रखने की अनुमति को घटाकर एक हथियार पर सीमित करता है. इसमें पुश्तैनी हथियारों के लिए दिए गए लाइसेंस भी शामिल हैं. यह विधेयक अतिरिक्त हथियारों को निकटतम पुलिस स्टेशन या डीलर के पास जमा करने के लिए एक साल की समयावधि प्रदान करता है. 

सात साल से उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान :

इस संशोधन विधेयक के तहत अपराध के लिए सजा सात साल से लेकर उम्रकैद बढ़ जाती है. इसके साथ जुर्माने का भी प्रावधान है. इसमें जश्न मनाने के लिए हथियार से गोलियां चलाने पर भी प्रतिबंध है जिससे लोगों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है. जानकारी मिली है कि सरकार की उच्च स्तरीय बैठक में आर्म्स एक्ट (संशोधन) विधेयक 2019 को इस सत्र के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया गया.

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