मध्य प्रदेश में कई दशकों से इस्तेमाल होने वाले पुलिसिया कार्रवाई के जटिल शब्द अब इस्तेमाल नही होंगे । पुलिस विभाग में ऐसे शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की तैयारी कर ली है जो मुगलकालीन व्यवस्था से चले जा रहे हैं। विभाग ने उर्दू अरबी और फारसी के इस्तेमाल होने वाले शब्दों की जगह सरल और हिंदी शब्दों के इस्तेमाल की डिक्शनरी तैयार कर ली है। जिसे जिलों में भेजा जा रहा है।
आप भी उन शब्दों को सुनकर हैरान हो जाएंगे जो पुलिसिया कार्रवाई और कानून की प्रक्रिया का हिस्सा बन गए थे। जिसे समझना वकीलों के साथ फरियादी गवाह और आरोपियों के लिए भी मुश्किल हो जाता था।
रोजनामचा- यानी कि रोज की रिपोर्ट का खाता
ख़रीजी- यानी रिपोर्ट झूठी होने पर खारिजी लगती है
मुचलका- बंध पत्र या घोषणा पत्र भी हो सकता है
आला कत्ल- हत्या के इस्तेमाल में होने वाला हथियार
सजायाफ्ता- यानी कि जिसको सजा हो गई हो
आगाज- यानी की शुरुआत
दरयाफ्त-तय तारीख
मसरूर- यानी कि फरार अपराधी
मजरूब- यानी कि पीड़ित
अदम तमिल-नोटिस सर्व नहीं होना
इमरोज़ा- एक ही दिन सारा काम
माल मसरूका- चोरी की संपत्ति
दरखास्त- यानी कि आवेदन
ऐसे कई शब्द है जिनको बोलना और समझना बेहद मुश्किल हो गया था। लेकिन इन शब्दों को बदला जा रहा है उनकी जगह सरल शब्दों की डिक्शनरी तैयार की गई है। 60 पेज की डिक्शनरी को तैयार कर जिलों को भेजा जा रहा है ताकि पुलिस उन शब्दों को समझ सके जो पुराने शब्दों की जगह इस्तेमाल होंगे।
मध्य प्रदेश में 1861 में पुलिस एक्ट के दौरान इन शब्दों के इस्तेमाल को शामिल किया गया था। लेकिन पुलिस के कामकाज में इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर से लेकर नियम प्रकिया और कार्रवाई में अब नए शब्दों का इस्तेमाल होगा।
दरअसल मध्य प्रदेश की अदालतों में करीब 5 लाख प्रकरण लंबित है और इसके पीछे एक बड़ी वजह उन शब्दों का इस्तेमाल होना भी है जिनकी समझ नहीं होने के कारण वकील से लेकर जज तक परेशान होते हैं और अब पुलिस ने उन शब्दों के इस्तेमाल पर की जगह दूसरे शब्दों के इस्तेमाल की डिक्शनरी तैयार कर ली है।