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शिक्षा ऐसी चाहिए जिससे चरित्र बने, मानसिक बल बढ़े और मनुष्य अपने पैरों पर खड़ा हो सके : राष्ट्रपति

By भाषा | Updated: August 28, 2021 17:32 IST

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को यहां गोरखपुर में उत्तर प्रदेश के पहले आयुष विश्‍वविद्यालय 'महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय’ का शिलान्यास और शाम को 'महायोगी गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय' का उद्घाटन किया। नवसृजित महायोगी गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय का उद्घाटन करने के बाद समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने स्वामी विवेकानंद को उद्धृत करते हुए कहा,‘‘देश में शिक्षा ऐसी चाहिए जिससे चरित्र बने, मानसिक बल बढ़े, बुद्धि का विकास हो और जिससे मनुष्य अपने पैरों पर खड़ा हो सकें।’’ राष्ट्रपति ने सभी विद्यार्थियों के ज्ञानवान होने की मंगलकामना करते हुए कहा,‘‘स्वामी विवेकानंद का विचार था कि कोई भी देश उसी अनुपात में उन्नत हुआ करता है जिस अनुपात में वहां के जनसमूह में शिक्षा और बुद्धि का प्रसार होता है। उनका मानना था कि वह शिक्षा जो जनसमुदाय को जीवन कल्‍याण के उपयुक्त नहीं बनाती और जो उनके चारित्रिक शक्ति का विकास नहीं करती, जो प्राणियों में दया का भाव और सिंह का साहस पैदा नहीं करती, उसे शिक्षा नहीं कहा जा सकता है। स्वामी विवेकानंद कहते थे कि उन्हें तो ऐसी शिक्षा चाहिए जिससे चरित्र बने, मानसिक बल बढ़े, बुद्धि का विकास हो और जिससे मनुष्य अपने पैरों पर खड़ा हो सकें।'' उन्‍होंने कहा,‘‘उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भारत का इतिहास गौरवमय रहा है। तक्षशिला में विश्व के प्रथम विश्‍वविद्यालय से लेकर नालंदा और विक्रमशिला विश्‍वविद्यालयों की परंपरा कुछ समय के लिए धूमिल हो गई, परंतु हमारे वैज्ञानिकों, चिकित्सकों और शिक्षकों ने पूरी दुनिया को अपनी मेधा और समर्पण भावना से लगातार प्रभावित किया है।’’ राष्ट्रीय शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा से चरित्र निर्माण होना चाहिए। शिक्षार्थियों में नैतिकता, तार्किकता, करुणा और संवेदनशीलता विकसित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा,‘‘श्री आदिनाथ, श्री मत्स्येंद्र नाथ और गुरु गोरखनाथ की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए नाथ पंथ आज भारत के कोने-कोने में मानवता की भलाई में जुटा हुआ है। नाथ पंथ भारत के बाहर तिब्बत, मंगोलिया, अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और म्यांमा जैसे देशों में योग के प्रचार-प्रसार के माध्यम से लोक कल्‍याण में लगा हुआ है। महायोगी गोरखनाथ ने योग के माध्यम से जनसाधारण को सशक्त बनाने का अतुलनीय योगदान किया है।'' राष्ट्रपति कोविंद ने कहा,‘‘मुझे विश्वास है कि महायोगी गुरु गोरखनाथ विश्‍वविद्यालय में ऐसे ज्ञानवान विद्यार्थी तैयार किये जाएंगे जो ज्ञान और विचार की हमारी प्राचीन सनातन परंपरा को आगे ले जाने में पूरी तरह सक्षम होंगे, जो आत्मनिर्भर, स्वस्थ व कुशल भारत का निर्माण करेंगे।'' उन्होंने कहा,‘‘पूरे भारत में नाथ सिद्ध परंपरा के अनुयायियों के लिए श्री गोरखनाथ के नाम पर स्थापित गोरखपुर नगर अत्यंत श्रद्धा का केंद्र है। ऐसी मान्यता है कि महायोगी गोरखनाथ भगवान शिव के अवतार थे। गोरखनाथ की तपस्थली श्री गोरक्षपीठ सदियों से भारत के सामाजिक और धार्मिक जागरण में अपनी विशिष्ट भूमिका निभाती रही है। भारत के स्वाधीनता आंदोलन के दौरान इस पीठ ने राजनीतिक पुनर्जागरण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज के समय में भी श्री गोरक्षपीठ जनजागरण, जनसेवा, शिक्षा और चिकित्सा सेवा का केंद्र बनी है।'' इसके पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 'महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय’ का यहां शिलान्यास करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि तनाव और चिंता से भरे आधुनिक समय में योग मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य का मार्ग है तथा योग को अपनाने से व्यक्ति आरोग्य के साथ-साथ सकारात्मक ऊर्जा भी प्राप्त करता है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई में विशेष कर दूसरी लहर में आयुष चिकित्‍सा पद्धतियों ने लोगों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा उन्हें संक्रमण मुक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज में जड़ी बूटियों के ज्ञान की समृद्ध परंपरा रही है, पिछले दो दशकों में पूरे देश में आयुष चिकित्सा पद्धतियों की लोकप्रियता में बढ़ोतरी हुई है, इसकी मांग बढ़ी है और इससे रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। उन्होंने कहा,‘‘ ऐसा विश्वास है कि खनिजों और धातुओं को औषधि के रूप में तैयार करके आपात चिकित्सा के रूप में इसके प्रयोग के प्रवर्तकों में बाबा गोरखनाथ प्रमुख रहे हैं, इसलिए उत्तर प्रदेश में स्थापित हो रहे आयुष विश्वविद्यालय का नाम 'महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय रखा जाना सर्वथा उचित है।’’ राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ‘‘गोरखनाथ जी ने सदा ईमानदारी, कथनी और करनी के मेल और बाह्य आडंबरों से मुक्ति की शिक्षा दी और योग को दया-दान का मूल कहा। उनके चरित्र, व्यक्तित्व से कबीर भी प्रभावित हुए। गोस्वामी तुलसीदास ने भी योग के क्षेत्र में गुरु गोरखनाथ के योगदान को स्वीकार करते हुए कहा कि ‘गोरख जगायो जोग’, अर्थात गुरु गोरखनाथ ने जनसाधारण में योग का अभूतपूर्व प्रचार और प्रसार किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारतवर्ष विविधता में एकता का उत्तम उदाहरण है जो कुछ कल्याणकारी, सहज, सुगम और उपयोगी है, उसे अपनाने में भारतवासी कभी संकोच नहीं करते हैं। देश में विभिन्न प्रकार की चिकित्सा पद्धतियों का प्रचलन भी हमारी इसी सोच का परिणाम है। योग, आयुर्वेद विश्व को भारत की देन है।’’ उन्होंने कहा,‘‘महात्मा गांधी प्राकृतिक चिकित्सा के प्रबल पक्षधर थे और कहा करते थे कि शारीरिक उपचार के साधन हमारी प्रकृति में भी मौजूद हैं। वे इस बात से बहुत व्यथित रहते थे कि आधुनिक शिक्षा का संबंध हमारे दिन प्रतिदिन के जीवन के साथ नहीं है।’’ राष्ट्रपति कोविंद ने जोर दिया, ‘‘ विद्यार्थियों को गांव व खेतों में पैदा होने वाली फसलों तथा वनस्पतियों के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए।वनस्‍पतियों के बारे में जानकारी होने से सामान्य रोगों का उपचार कम खर्च में हो जाता है और जीवन सुगम हो जाता है।’’ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राष्ट्रपति और देश की प्रथम महिला सविता कोविंद का स्वागत किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि योग विश्व की अमूल्य धरोहर है और इस धरोहर को आगे बढ़ाने का अभिनंदनीय कार्य प्रधानमंत्री ने किया है। इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा,‘‘ यह हम सबका सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री ने भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति को वैश्विक मंच पर नयी पहचान दी और विश्‍व योग दिवस का 21 जून को मनाया जाना उसका प्रमाण है।’’ उन्होंने 'महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय’ के स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रदेश में 94 आयुष महाविद्यालय हैं जिनमें 7,500 स्नातक और 525 सीटें परास्‍नातक स्‍तर पर हैं और इन सबको सम्बद्ध करने के लिए यह विश्‍वविद्यालय कार्य करना प्रारंभ करेगा और इससे शैक्षणिक सत्र को नियमित करने और एकरूपता लाने में सफलता प्राप्‍त होगी। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं। दोनों कार्यक्रमों में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और देश की प्रथम महिला सविता कोविंद का स्वागत किया।

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