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पेगासस जासूसी मामले में एसआईटी जांच को लेकर एडिटर्स गिल्ड ने न्यायालय में दायर की याचिका

By भाषा | Updated: August 3, 2021 17:04 IST

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नयी दिल्ली, तीन अगस्त एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इजराइली कंपनी एनएसओ के पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर के जरिए सरकार द्वारा पत्रकारों और अन्य पर कथित तौर पर नजर रखने की जांच के लिए विशेष जांच टीम (एसआईटी) के गठन का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है।

गिल्ड की याचिका में कहा गया कि पत्रकारों का काम सूचित किए जाने के जनता के अधिकार को, सरकार को जवाबदेह बनाने और स्वतंत्र एवं पारदर्शी सरकार लागू करना है।

इसमें कहा गया कि गिल्ड के सदस्य और सभी पत्रकारों का कर्तव्य सूचनाएं, व्याख्याएं और देश की कार्रवाई या निष्क्रियता के लिए वैधानिक रूप से वैध तर्क मांगकर सरकार की सभी शाखाओं को जिम्मेदार ठहराना है।

इसने कहा कि इस भूमिका को पूरा करने के लिए प्रेस की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखा जाना चाहिए। मामले में पत्रकार मृणाल पांडे सह-याचिकाकर्ता हैं।

याचिका में कहा गया, “प्रेस की स्वतंत्रता पत्रकारों की रिपोर्टिंग में सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा हस्तक्षेप नहीं किए जाने पर निर्भर होती है, जिसमें सूत्रों के साथ सुरक्षा एवं गोपनीयता के साथ बात करने की उनकी क्षमता, सत्ता के दुरुपयोग एवं भ्रष्टाचार की जांच, सरकारी अक्षमता का खुलासा करना, और सरकार के विरोध में या विपक्ष से बात करना शामिल है।”

गिल्ड ने तर्क दिया कि भारत के नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि क्या सरकार संविधान के तहत अपने अधिकार की सीमाओं का उल्लंघन कर रही है और उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।

याचिका में कहा गया कि संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से जवाबदेही लेने और संवैधानिक सीमाओं को लागू करने के सभी प्रयासों को विफल कर दिया गया है।

इसमें कहा गया, “अपनी हठधर्मिता से, प्रतिवादियों ने जानबूझकर इस मुद्दे पर सार्वजनिक बहस से परहेज किया है और अस्पष्ट उत्तर प्रदान किए हैं, जिससे याचिकाकर्ता को इस अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।”

गिल्ड ने भारत सरकार द्वारा और भारतीय नागरिकों, विशेषकर पत्रकारों के खिलाफ पेगासस के कथित उपयोग के हर पहलू की जांच के लिए अदालत द्वारा नियुक्त एवं उसकी निगरानी वाली एसआईटी का अनुरोध किया है।

इसमें उन्नत प्रौद्योगिकी एवं निगरानी क्षमताओं के मद्देनजर इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की संवैधानिक शक्ति, स्पाईवेयर (जासूसी सॉफ्टवेयर) की हैकिंग एवं प्रयोग, और निगरानी के मौजूदा कानूनी संरचना को चुनौती दी गई है।

वरिष्ठ पत्रकार प्रन्जॉय गुहा ठाकुरता, जिनका नाम उन लोगों की सूची में शामिल था जिन्हें पेगासस का उपयोग करके जासूसी का लक्ष्य बनाया गया था, उन्होंने सोमवार को शीर्ष अदालत का रुख किया था और उनके फोन पर इजरायली स्पाइवेयर के कथित उपयोग से संबंधित जांच और मंजूरी के संबंध में सामग्री का खुलासा करने का केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया था।

उन्होंने कहा था कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पेगासस का बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा और शीर्ष अदालत से इस स्पाईवेयर के इस्तेमाल को असंवैधानिक एवं गैरकानूनी घोषित करने की अपील की थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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