लखनऊ/कानपुर देहात (उत्तर प्रदेश), 27 जून अपने पैतृक गांव पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को कहा कि गांव के एक सामान्य बच्चे के रूप में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वह देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होंगे।
कानपुर देहात जिले में स्थित अपनी जन्मस्थली परौंख गांव में सभा को संबोधित करते हुए कोविंद ने कहा, ''एक सामान्य बच्चे के रूप में मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने का सम्मान मिलेगा लेकिन, हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने इसे पूरा कर दिखाया।''
राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान निर्माताओं को भी श्रद्धांजलि दी और कहा, ‘‘आज मैं जहां भी पहुंचा हूं, उसका श्रेय इस गांव की मिट्टी, इस क्षेत्र, आपके प्यार और आशीर्वाद को जाता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा संस्कार बुजुर्गों को माता-पिता का सम्मान देने का है और आज, मुझे खुशी है कि हमारे परिवार में बड़ों को सम्मान देने की यह परंपरा अभी भी जारी है।’’
समारोह में आये हुए लोगों के साथ भावनात्मक रिश्ता जोड़ते हुए कोविंद ने कहा, "मैं कहीं भी रहूं, गांव की मिट्टी की खुशबू और मेरे गांव के लोगों की यादें हमेशा मेरे दिल में बसी रहेंगी। परौंख गांव, मेरी 'मातृभूमि' है, जहां से मुझे देश सेवा करने की प्रेरणा मिलती रही है। जन्मभूमि स्वर्ग से भी बड़ी है।"
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मातृभूमि' की इस प्रेरणा ने मुझे उच्च न्यायालय से उच्चतम न्यायालय, उच्चतम न्यायालय से राज्य सभा, राज्य सभा से राजभवन और राजभवन से राष्ट्रपति भवन तक पहुँचाया है।’’
राष्ट्रपति कोविंद रविवार की सुबह कानपुर देहात जिले के परौंख गांव में अपने जन्म स्थान पहुंचे, जहां उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका स्वागत किया।
पुलिस अधीक्षक के जन संपर्क अधिकारी ने बताया कि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने परौंख में राष्ट्रपति कोविंद का स्वागत किया। कोविंद पत्नी और बेटी के साथ पथरी देवी मंदिर गए और पूजा-अर्चना की। गांव के प्राइमरी स्कूल में उन्होंने लोगों को संबोधित किया।
राष्ट्रपति ने अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए कहा कि परौंख में प्राथमिक शिक्षा हासिल करने के बाद जूनियर हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए कानपुर जाना पड़ा क्योंकि वहां आगे की पढ़ाई के लिए कोई स्कूल नहीं था। उस वक्त लगता था कि काश अगर यहां आगे की पढ़ाई के लिए स्कूल होता तो बाहर नहीं जाना पड़ता। खुशी की बात है कि आज उनके पुश्तैनी गांव में बच्चे वीरांगना झलकारी बाई इंटर कॉलेज में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
कोविंद ने इस मौके पर अपने सहपाठियों जसवंत सिंह, विजयपाल सिंह उर्फ सल्लू सिंह, हरिराम, चंद्रभान सिंह भदौरिया, राजाराम और दशरथ सिंह को भी याद किया।
राष्ट्रपति ने पुखरायां में अपने अभिनंदन समारोह में भाग लिया। उन्होंने इस अवसर पर कहा, हालांकि, परौंख गांव उनकी जन्मस्थली है लेकिन पुखरायां उनकी कर्मभूमि है। यहीं से उनके सार्वजनिक जीवन की शुरुआत हुई। यही वजह है कि यह जगह उनकी जिंदगी और उनके दिल में खास जगह रखती है।
राष्ट्रपति 28 और 29 जून को लखनऊ में रहेंगे। राष्ट्रपति के जारी क्षण-प्रतिक्षण कार्यक्रम के मुताबिक वह सोमवार को कानपुर से सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर विशेष ट्रेन से लखनऊ के लिए रवाना होंगे और डेढ़ घंटे का सफर तय कर वह 11 बजकर 50 मिनट पर लखनऊ रेलवे स्टेशन पहुंचेंगे। रेलवे स्टेशन से वह 12 बजे चलकर दस मिनट बाद सीधे राजभवन आएंगे। उनका दोपहर का भोजन राजभवन में निर्धारित किया गया है।
राजभवन में ही शाम छह बजे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और अन्य लोगों के साथ 'हाई-टी' का आयोजन किया गया है। सोमवार की रात को कोविंद राजभवन में विश्राम करेंगे मंगलवार को राष्ट्रपति सुबह साढ़े 11 बजे लोकभवन से भारत रत्न डॉक्टर भीमराव आंबेडकर मेमोरियल एवं सांस्कृतिक सेंटर की आधारशिला रखेंगे। शाम साढ़े छह बजे वह लखनऊ हवाई अड्डे से दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे।
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