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Dharmasthala Controversy: क्या है धर्मस्थल मंदिर का रहस्य, आरोप सही या गलत? विरोध और सर्मथन के बीच छुपती सच्चाई

By अंजली चौहान | Updated: August 15, 2025 07:42 IST

Dharmasthala Controversy: इन शवों में ज़्यादातर महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के होने का आरोप है, जिनके साथ कथित तौर पर यौन उत्पीड़न और हत्या की गई थी।

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Dharmasthala Controversy: कर्नाटक में स्थित धर्मस्थल मंदिर 800 साल पुराना है जिसकी जड़ें इतिहास से जुड़ी है। मगर यही मंदिर अब विवादों के घेरे में है क्योंकि श्री धर्मस्थल मंजुनाथेश्वर मंदिर के एक पूर्व सफाई कर्मचारी ने 3 जुलाई को पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में छह पन्नों की शिकायत दर्ज की। कर्मचारी के आरोपों ने सनसनी मचा दी। पूर्व सफाई कर्मचारी ने दावा किया कि उसे 1998 से 2014 के बीच मंदिर परिसर के आसपास सैकड़ों शवों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया था। इन शवों में ज़्यादातर महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के होने का आरोप है, जिनके साथ कथित तौर पर यौन उत्पीड़न और हत्या की गई थी।

आरोपों की जड़ क्या है?

इस पूरे मामले की शुरुआत एक व्हिसलब्लोअर (भेद खोलने वाला) से हुई, जो मंदिर में सालों तक सफाई कर्मचारी था। उसने अपनी पहचान गुप्त रखते हुए आरोप लगाया कि उसे डर और दबाव में आकर इन शवों को ठिकाने लगाना पड़ा। उसका दावा है कि कई शवों पर हिंसा और यौन शोषण के साफ निशान थे। व्हिसलब्लोअर ने पुलिस और विशेष जांच दल (SIT) को कई जगहों की पहचान बताई, जहाँ कथित तौर पर इन शवों को दफनाया गया था।

जांच और अब तक के खुलासे

इन गंभीर आरोपों के बाद, कर्नाटक सरकार ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया। एसआईटी ने व्हिसलब्लोअर द्वारा बताए गए स्थानों पर खुदाई का काम शुरू किया।

पुष्टि हुए सबूत: जांच के दौरान कई जगहों पर इंसानी खोपड़ी और हड्डियों के अवशेष मिले हैं। शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, कुछ अवशेषों की पहचान हुई है।

मंदिर प्रशासन का रुख: धर्मस्थल मंदिर प्रशासन ने इन आरोपों को गंभीरता से लिया है और निष्पक्ष जांच का स्वागत किया है। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा है कि वे जांच में पूरा सहयोग करेंगे ताकि सच्चाई सामने आ सके।

धर्मस्थल मंदिर से जुड़े हालिया विवाद ने पूरे देश में हलचल मचा दी है, और सोशल मीडिया पर इस पर तीखी बहस चल रही है। यह मामला एक पूर्व सफाई कर्मचारी के सनसनीखेज आरोपों से शुरू हुआ, जिसने दावा किया कि उसे 1998 से 2014 के बीच मंदिर परिसर के आसपास सैकड़ों शवों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया था। इन शवों में ज़्यादातर महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के होने का आरोप है, जिनके साथ कथित तौर पर यौन उत्पीड़न और हत्या की गई थी।

आरोपों की जड़ क्या है?

इस पूरे मामले की शुरुआत एक व्हिसलब्लोअर (भेद खोलने वाला) से हुई, जो मंदिर में सालों तक सफाई कर्मचारी था। उसने अपनी पहचान गुप्त रखते हुए आरोप लगाया कि उसे डर और दबाव में आकर इन शवों को ठिकाने लगाना पड़ा। उसका दावा है कि कई शवों पर हिंसा और यौन शोषण के साफ निशान थे। व्हिसलब्लोअर ने पुलिस और विशेष जांच दल (SIT) को कई जगहों की पहचान बताई, जहाँ कथित तौर पर इन शवों को दफनाया गया था।

जांच और अब तक के खुलासे

इन गंभीर आरोपों के बाद, कर्नाटक सरकार ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया। एसआईटी ने व्हिसलब्लोअर द्वारा बताए गए स्थानों पर खुदाई का काम शुरू किया।

पुष्टि हुए सबूत: जांच के दौरान कई जगहों पर इंसानी खोपड़ी और हड्डियों के अवशेष मिले हैं। शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, कुछ अवशेषों की पहचान हुई है।

मंदिर प्रशासन का रुख: धर्मस्थल मंदिर प्रशासन ने इन आरोपों को गंभीरता से लिया है और निष्पक्ष जांच का स्वागत किया है। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा है कि वे जांच में पूरा सहयोग करेंगे ताकि सच्चाई सामने आ सके।

सच्चाई और सोशल मीडिया का शोर

यह पूरा मामला सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से फैल गया है, जिससे कई तरह की अटकलें और दावे सामने आ रहे हैं। एक तरफ, कई लोग व्हिसलब्लोअर के आरोपों का समर्थन कर रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं। दूसरी तरफ, मंदिर के अनुयायी और कुछ राजनीतिक दल इन आरोपों को मंदिर की छवि खराब करने की साजिश बता रहे हैं।

यह समझना ज़रूरी है कि इस मामले में अभी भी जांच चल रही है और कई दावे अभी भी साबित नहीं हुए हैं। हालांकि, जिस तरह से मानव अवशेष मिले हैं, उससे आरोपों को पूरी तरह से खारिज करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में, यह जरूरी है कि हम किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले जांच के अंतिम परिणाम का इंतजार करें। यह मामला केवल सोशल मीडिया का शोर है या इसमें कोई गहरी सच्चाई छिपी है, इसका पता एसआईटी की विस्तृत और निष्पक्ष जांच से ही चल पाएगा।

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