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धनबाद-चंद्रपुरा रेलखंडः अंदर धधक रही आग, 34 किमी का सफर रोजाना करती हैं रेलगाड़ियां, कुसुंडा के पास धुआं

By एस पी सिन्हा | Updated: December 8, 2020 21:29 IST

धनबाद-चंद्रपुरा रेलखंड पर वर्ष 1894 में पहली बार ट्रेनाें का परिचालन शुरू हुआ था, जो 124 वर्ष के बाद 15 जून 2017 को बंद किया गया था। 

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ठळक मुद्देधनबाद चंद्रपुरा रेलखंड पर 20 मई 1894 को कतरास से धनबाद होते हुए बराकर तक पहली ट्रेन चली थी.5 फरवरी 2019 से मालगाड़ियों का परिचालन शुरू की गयी.

धनबादः झारखंड के धनबाद जिले के अंतर्गत धनबाद-चंद्रपुरा रेलखंड कभी भी जमींदोज हो जा सकता है. यह रेल लाइन आग के दरिया के ऊपर से गुजर रहा है.

दरअसल, धनबाद जिले में कई ऐसे इलाके हैं, जहां कोयला खदानों के चलते जमीन के अंदर आग लगा हुआ है. इसी अग्नि प्रभावित स्थानों में धनबाद-चंद्रपुरा रेलखंड भी आता है. संभावित खतरे के मद्देनजर रेलवे के परिचालन को बंद कर दिया गया था. लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते बाद में इसे फिर से चालू कर दिया गया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार 34 किलोमीटर लंबी धनबाद-चंद्रपुरा रेलवे लाइन पर कुसुंडा से लेकर बांसजोडा, सोनारडीह और सिजुआ से कतरास के बीच पहले से रेल पटरी के बगल से धुआं निकल रहा है.

ट्रेनों की रफ्तार घटा कर 30 किलोमीटर सीमित कर दी गई है

लेकिन हाल के दिनों में कुसुंडा स्टेशन के पास ट्रैक के बगल में भूमिगत आग भडक गई है. रेल पटरी से 28 मीटर की दूरी पर जमीन से धुआं निकल रहा है. रेलवे की टीम ने नियमित जांच में यहां धुआं निकलते देखा. धुआं दिखते ही कुसुंडा स्टेशन पर ट्रेनों की रफ्तार घटा कर 30 किलोमीटर सीमित कर दी गई है.

आग के खतरे को देखते हुए रेल प्रशासन ने पटरी की निगरानी बढ़ा दी है. जमीन का तापमान मापा जा रहा है. इसके साथ ही 50 मीटर लंबी रेल पटरी के पैरामीटर (मानक) की निश्चित अंतराल पर जांच की जा रही है. ट्रैकमैन के साथ-साथ इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों और कर्मियों को धुएं के दायरे की निगरानी के लिए कई निर्देश दिए गए हैं. 

15 जून 2017 से 23 फरवरी 2019 तक ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया गया था

बताया जाता है कि डीसी(धनबाद-चन्द्रपुरा) रेल लाइन आग और भू-धंसान प्रभावित क्षेत्र से गुजरी है. इसी कारण से डीजीएमएस (खान सुरक्षा महानिदेशालय) ने इस क्षेत्र से होकर ट्रेनों के परिचालन को खतरनाक बताया था. डीजीएमएस की रिपोर्ट पर डीसी लाइन पर 15 जून 2017 से 23 फरवरी 2019 तक ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया गया था.

लेकिन राजनीतिक और जन दबाव के बाद 24 फरवरी 2019 से इस रूट पर दोबारा परिचालन शुरू कर दिया गया है. धनबाद के डीआरएम आशीष कुमार झा के अनुसार जहां धुआं निकल रहा है, वह क्षेत्र रेल पटरी से 28 मीटर दूर है. रेल पटरियों के मानक की  निगरानी की जा रही है. एहतियात के तौर पर ट्रेनों की गति 30 किलोमीटर की गई है. धुएं से ट्रेन परिचालन में कोई खतरा नहीं है.

टॅग्स :झारखंडभारतीय रेलहेमंत सोरेनकोयला की खदान
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