लखनऊ, आठ नवंबर देश में नोटबंदी के पांच साल पूरे होने पर विपक्षी दलों समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि इससे देश और प्रदेश को भारी नुकसान पहुंचा।
समाजवादी पार्टी ने आठ नवंबर को काला दिवस मनाते हुए सोमवार को प्रदेश स्तर पर पदयात्रा निकाली और धरना प्रदर्शन किया।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने नोटबंदी पर तंज कसते हुए सोमवार को ट्वीट किया, ''नोटबंदी की पांचवीं बरसी पर भाजपा उनका खुलासा करे जो काला धन लेकर विदेश फ़रार हो गये या वहाँ जा बसे।'' इसी ट्वीट में यादव ने कहा, ''न काला धन रुका, न भ्रष्टाचार, न आतंकवाद। नोटबंदी से अर्थव्यवस्था व आय बढ़ाने का भाजपाई दावा अगर सच होता तो आयकर संग्रहण बढ़ता, पर बढ़ा काला धन। ज़रूरत नोटबंदी की नहीं खोटबंदी की है।''
सपा मुख्यालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, समाजवादी व्यापार सभा के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मंत्री संजय गर्ग ने आठ नवंबर (इसी दिन नोटबंदी की घोषणा हुई) को काला दिवस मनाते हुए आज प्रदेश स्तर पर पदयात्राएं व धरना प्रदर्शन आयोजित कर भाजपा की नाकामी व तानाशाही को याद दिलायी। गर्ग ने कहा कि नोटबंदी देश विशेषकर व्यापारी समाज को तबाह और बर्बाद करने वाला भाजपा का तुगलकी फैसला था। इस गैरजिम्मेदाराना और तुगलकी फैसले से छोटे, मध्यम व बड़े, हर वर्ग के व्यापारी बर्बाद हुए।
उन्होंने कहा, ‘‘तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नोटबंदी के तुगलकी फैसले की वजह से जान गंवाने वालों के परिवार को मुआवजा दिया, परन्तु भाजपा सरकार का रवैया बहुत ही संवेदनहीन रहा। भाजपा को देश से माफी मांगनी चाहिए।’’
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने सोमवार को माइक्रो ब्लॉगिंग साइट 'कू' पर लिखा है, ‘‘नोटबंदी से काला धन (वापस) नहीं आया, बल्कि भाजपा सरकार द्वारा उनके कुछ खास पूंजीपतियों को लाभ देकर किसान, मजदूर, छोटे व्यापारियों व मेहनतकश लोगों को नुकसान पहुंचाने का काम किया गया।’’
मिश्रा ने कहा, ‘‘सरकार द्वारा इस अचानक लिए गए फैसले से लाइन में लगे कितने ही मासूमों की जान चली गयी।’’ उन्होंने इस दिन को काला दिन बताया।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता कृष्णकांत पांडेय ने कहा, ‘‘मोदी सरकार के तुगलकी फैसले, नोटबंदी को आज पांच साल पूरे हो गये हैं और 50 दिनों में ‘अच्छे दिन’ दिखाने के वादे के पांच साल पूरे होने के बाद, दूरबीन से भी कहीं ‘अच्छे दिन’ नहीं दिख रहे।’’
बयान में पांडेय ने दावा किया, ‘‘नोदबंदी के उपरान्त पांच सौ और एक हजार के लगभग सभी नोट वापस आ गये। इससे सरकार का यह दावा निर्मूल साबित हुआ कि कालाधन की जमाखोरी बड़ी तादात में हुई है।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘सरकार का एक और दावा था कि नोटबंदी से आतंकवाद की रीढ़ टूट जायेगी, लेकिन 2004 से 2016 तक जितने जवान सीमा की सुरक्षा में शहीद हुए थे, उससे ज्यादा नोटबंदी के बाद इन पांच वर्षो में शहीद हुए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश का सबसे ज्यादा नुकसान नोटबंदी ने किया है यदि नोटबंदी न होती तो लगभग दो से ढाई करोड़ रोजगार सृजित होता, जो चला गया।
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