नई दिल्ली। दिल्ली में प्रदूषण एक बार फिर गंभीर रूप लेता दिख रहा है। दिल्ली की हवा में जहरीले पदार्थ एक बार फिर घुलने लगे हैं। प्रदूषण बढ़ने के साथ ही यहां हवा की गुणवत्ता बद से बदतर होते जा रही है। हर बार की तरह सर्दी ने दस्तक ही इस बार भी प्रदूषण की समस्या दिल्ली को चारों तरफ से घेरने लगी है। ऐसे में दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार प्रदूषण से लड़ने के लिए कई कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रदूषण के विरुद्ध अभी से अभियान छेड़ दिया है। आज बुधवार को दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए कंस्ट्रक्शन वाली जगहों पर 'एंटी स्मॉग गन' का प्रयोग किया जा रहा है। इसके प्रयोग से दिल्ली में प्रदूषण का लेवल कम होने की उम्मीद जताई जा रही है।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के आंकड़ों के अनुसार आनंद विहार में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 260 और रोहिणी में 238 पर आ गया है। दोनों ही आंकड़े सुबह 11 बजे तक हैं। वहीं बीते दिन मौसम विभाग ने कहा था कि पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में खेतों में पराली जलाने की घटना में वृद्धि देखी गई है। वायु की दिशा प्रदूषकों के प्रसार के लिए अनुकूल है और आने वाले दिनों में दिल्ली पर ये अपना असर दिखाना शुरू करेंगे। जबकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली सरकार दिल्ली में चावल की फसल वाले खेतों में पराली जलाए जाने को रोकने के लिए 11 अक्टूबर से 'पूसा के जैव विघटन' कैप्सूल का छिड़काव कराएगी। उन्होंने कहा था कि पूसा के वैज्ञानिकों ने पराली जलाए जाने की समस्या से निपटने के लिए सरल, प्रभावी और कम खर्च वाले उपाय की तलाश कर ली है। जिससे किसानों को बिना किसी दिक्कत के सरकार उनके खेतों में कैप्सूल का छिड़काव कराएगी। इस छिड़काव के लिए किसानों को अपने खेत में कैप्सूल के इस्तेमाल को लेकर हामी भरनी होगी।
डस्ट पॉल्यूशन कम करना हमारा लक्ष्य: गोपाल राय
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि हमारा पहला लक्ष्य डस्ट पॉल्यूशन को कम करना है। इसके लिए सरकार के तरफ से दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। बड़े निर्माण स्थलों पर एंटी स्मॉग गन लगाए जा रहे हैं। लगभग 39 स्थलों की पहचान की गई है और उन्हें दिशानिर्देश दिए गए हैं कि वो तुरंत एंटी स्मॉग गन लगाएं।
युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को वायु प्रदूषण के खिलाफ महा अभियान की शुरुआत करते हुए कहा कि कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए प्रदूषित हवा जानलेवा हो सकती है। केजरीवाल ने डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में कहा कि "युद्ध प्रदूषण के विरुध" अभियान के तहत शहर के 13 प्रदूषित क्षेत्रों से हर एक के लिए अलग योजना बनायी गयी है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर प्रदूषित हवा से जान को खतरा हो सकता है। दोनों फेफड़ों को प्रभावित करते हैं। केजरीवाल ने कहा कि प्रदूषण के खिलाफ उनकी सरकार द्वारा किए जा रहे सभी उपायों की निगरानी के लिए एक ‘वॉर रूम’ स्थापित किया जा रहा है।
ग्रीन दिल्ली एप्लिकेशन
उन्होंने कहा कि सरकार ‘ग्रीन दिल्ली’ नामक मोबाइल एप्लिकेशन भी तैयार कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका उपयोग कर लोग कचरा जलाना या औद्योगिक प्रदूषण जैसी गतिविधियों को हमारे ध्यान में ला सकते हैं। शिकायतों के निपटारे के लिए एक समय सीमा होगी। उन्हें प्रति दिन उन शिकायतों की रिपोर्ट मिलेगी जो लंबित हैं या जिनका हल हो गया है। केजरीवाल ने धूल उत्सर्जन को कम करने के लिए गड्ढों को भरने की खातिर संबंधित विभागों को निर्देश भी जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि शहर में वायु प्रदूषण में धूल एक प्रमुख कारक है। उन्होंने कहा कि धूल से प्रदूषण पर काबू के लिए टीमें निर्माण स्थलों का निरीक्षण कर रही हैं।
दिल्ली में प्रदूषण का बड़ा कारण है पराली
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों में प्रदूषण का एक बड़ा कारण पराली का जलाना है। उन्होंने कहा, "भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस समस्या से निपटने के लिए एक किफायती तरीका खोजा है। उन्होंने ऐसा समाधान (घोल) तैयार किया है जिससे पराली को खाद में तब्दील किया जा सकता है। केजरीवाल ने कहा कि हम संस्थान के विशेषज्ञों की देखरेख में मंगलवार से बड़े स्तर पर यह घोल तैयार करने जा रहे हैं। इसका उपयोग इस साल दिल्ली में किया जाएगा। अगले साल हम अन्य राज्यों से भी इसका उपयोग करने का आग्रह करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली से 300 किमी के दायरे में 11 ताप बिजली घर हैं जिन्होंने दिसंबर 2019 तक नए उत्सर्जन मानदंडों को पूरा करने की समय सीमा का पालन नहीं किया है। उन्होंने कहा कि हमने अपने दो ताप बिजली घर बंद कर दिए हैं।