नई दिल्लीः भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बृहस्पतिवार को कहा कि दिल्ली और आसपास के इलाकों में सात जुलाई तक मॉनसून की बारिश होने की संभावना नहीं है और उसके बाद क्षेत्र में इस महीने के मध्य तक सामान्य से कम बारिश होगी।
इससे पहले, 2012 में मॉनसून दिल्ली में इतनी देर से पहुंचा था। मौसम विभाग ने कहा कि वायुमंडलीय परिस्थितियां बनने में देर होने का प्र्रभाव पंजाब और हरियाणा सहित क्षेत्र में कृषि कार्यों पर पड़ने की संभावना है, जैसे कि फसलों की बुवाई और रोपाई, सिंचाई, बिजली की जरूरत आदि।
मौसम कार्यालय ने कहा, ‘‘पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली तथा उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों, उत्तर राजस्थान तथा उत्तर पश्चिम मध्य प्रदेश में दो जुलाई तक लू की परिस्थितियां रहने की संभावना है। ’’ विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि उसके बाद अरब सागर से चलने वाली दक्षिण-पछुआ पवनों के कारण लू की प्रचंडता और इसके प्रभाव क्षेत्र में कमी आने की संभावना है।
दिल्ली में लू का कहर जारी, पारा 43.1 डिग्री पर पहुंचा
राष्ट्रीय राजधानी में बृहस्पतिवार को लोगों को लू के जबरदस्त थपेड़ों का सामना करना पड़ा और अधिकतम तापमान 43.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो इस मौसम के सामान्य तापमान से पांच डिग्री अधिक है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने यह जानकारी दी।
मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान के 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहने और सामान्य से कम से कम 4.5 डिग्री अधिक रहने पर लू की आशंका जताई जाती है। न्यूनतम तापमान सामान्य से चार डिग्री अधिक 31.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। सापेक्ष आर्द्रता का स्तर शाम को 29 प्रतिशत दर्ज किया गया।
मौसम विभाग ने दिल्ली में शुक्रवार को गरज के साथ बारिश होने का अनुमान व्यक्त किया है। दिल्ली में सोमवार को इस गर्मी की पहली लू चली जब पारा 43 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। इस बीच, दिल्ली की वायु गुणवत्ता बृहस्पतिवार शाम ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज की गयी।
19 जून से कोई प्रगति नहीं
लेकिन हवा में नमी बढ़ने के कारण अगले सात दिनों के दौरान ज्यादा राहत नहीं मिलने जा रही है। मौसम विभाग ने कहा , ‘‘मॉनसून राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब के हिस्सों को छोड़ कर देश के ज्यादातर हिस्से में पहुंच गया है। 19 जून से कोई प्रगति नहीं दर्ज की गई है।
कम ऊंचाई पर पछुआ पवनें और प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों तथा उत्तरी बंगाल की खाड़ी के ऊपर हवा का कम दबाव का क्षेत्र नहीं होना इसके कुछ कारण हैं। ’’ महापात्र ने कहा, ‘‘दिल्ली-एनसीआर और उत्तर पश्चिम भारत के अन्य हिस्सों में सात जुलाई तक मॉनसून के सक्रिय होने की कोई गुंजाइश नहीं है और इस महीने उत्तर पश्चिम भारत में सामान्य से कम से लेकर सामान्य बारिश होने की संभावना है। ’’
उत्तर पश्चिम भारत में 14 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है
उन्होंने कहा कि हालांकि, उत्तर पश्चिम भारत और मध्य भारत में धान की रोपाई और अन्य मुख्य फसलों की बुवाई आमतौर पर जुलाई में की जाती है। विभाग के मुताबिक मॉनसून के आने के बाद से, एक जून से उत्तर पश्चिम भारत में 14 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है।
लेकिन दिल्ली में इस अवधि में महज 29.6 मिमी बारिश हुई, जबकि इस अवधि में सामान्य तौर प 64. 1 मिमी बारिश होती है। आमौतर पर मॉनसून 27 जून तक दिल्ली में दस्तक दे देता है और आठ जुलाई तक पूरे देश में सक्रिय हो जाता है। पिछले साल मॉनसून 25 जून को दिल्ली पहुंचा था और पूरे देश में यह 29 जून तक सक्रिय हो गया था।
हरियाणा और पंजाब में गर्मी का प्रकोप जारी
हरियाणा और पंजाब के कुछ इलाकों में बृहस्पतिवार को गर्मी का प्रकोप जारी रहा और गुरुग्राम में तापमान 44.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से सात डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। गुरुग्राम, हरियाणा में सबसे गर्म स्थान रहा और हिसार में तापमान सामान्य से पांच डिग्री ज्यादा 44 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
रोहतक और भिवानी में भी तापमान 44 डिग्री सेल्सियस रहा। मौसम विभाग के अनुसार, नारनौल में तापमान 43.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। अंबाला में 40.6 डिग्री सेल्सियस, और करनाल में 40 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। पंजाब के पटियाला में अधिकतम तापमान 41.6 डिग्री सेल्सियस रहा और बठिंडा में 41.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
अमृतसर में 39 डिग्री और लुधियाना में 39.2 डिग्री सेल्सियस रहा। दोनों राज्यों की राजधानी चंडीगढ़ में तापमान 40.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से पांच डिग्री अधिक था। मौसम विभाग के अनुसार दोनों राज्यों में अगले दो दिन में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश हो सकती है।