Delhi Coaching Incident: बीते शनिवार को नई दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में स्थित राऊ आईएएस कोचिंग सेंटर में बड़ा हादसा घट जाने के बाद अब सड़कों पर छात्र उतर आए हैं। उन्होंने दिल्ली प्रशासन से अपनी तीन मांगों के पूरी होने तक विरोध प्रदर्शन जारी रखने की बात कही है। गौरतलब है कि कोचिंग के बेसमेंट में अचानक सीवर का पाइप फटने के बाद बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई और इसमें करीब 3 छात्र डूब गए और उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन अब ये मामला तूल पकड़ता जा रहा है और सत्तापक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं।
इस बीच धरने में शामिल एक छात्रा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'घटना लापरवाही की वजह से गई है, राउ कोचिंग सेंटर का आधारभूत ढांचा बिल्कुल भी ठीक नहीं था, दरिद्रता से इस संस्थान ने बच्चों की मृत्यु में अपना सहयोग दिया। एमसीडी ने भी उसी तरीके से अपनी कमियों को पोछ लिया, सारी कमियों को प्राकृतिक के ऊपर डाल दिया'।
प्रशासन को इस बात को समझना होगा कि वो भी कहीं न कहीं इसके लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें आम लोगों को जवाब देना चाहिए कि आखिर ये बड़ा हादसा हुआ क्यों? इस जगह में जो छात्र रहे हैं उनके प्रति भी जवाबदेही इस कोचिंग सेंटर की बनती है।
छात्रों की 3 मांगें- राउ स्टडी सर्कल के निदेशक को अपना बयान देना चाहिए और बाहर आना चाहिए, उन्हें इस बात को स्वीकारना चाहिए कि जो भी मृत्यु हुई, वो उनके इंफ्रा में कमी की वजह से हुई। दूसरी मांग एमसीडी के प्रवक्ता आएं और बोले कि ये प्राकृतिक आपदा नहीं बल्किउनकी लापरवाही की वजह से हुआ। एमसीडी की वजह से सीवर ओपन रहता है, उससे होकर खुली तारें जाती हैं, लोग उसकी चपेट में आकर मर रहे हैं या फिर डूब के मर जा रहे हैं। ये सभी एमसीडी की वजह से हुआ।
राउ स्टडी सर्कल सालाना करोड़ों में रुपया कमाती है, शायद आधे से ज्यादा बच्चे अपने घर में बैठे-बैठे इन्हें पैसों का योगदान कर रहे हैं, ऑनलाइन-ऑफलाइन मोड में पैसा आता है और मरने वाले छात्रों के परिवारों को 5 करोड़ रुपए हर्जाना देना चाहिए। इस बात की भी मांग धरने दे रहे छात्रों ने कोचिंग के मालिक से की है।
300 करोड़ से भी ज्यादा सालाना टर्नओवर राउ स्टडी सर्कल का है। यह दिल्ली में स्थित काफी पुराना और नामचीन संस्थान है। ये इन छात्रों की मृत्यु के जिम्मेदार है, इसलिए आप आसानी से बाहर नहीं निकल सकते हैं, आपकी जवाबदेही बनती है। आपको हर्जाना देना होगा, जिनकी जान गई है, वे सभी यूपीएससी मेन्स देने वाले थे। उन सभी का उज्ज्वल भविष्य था, कल को वही अलग-अलग जिले में जाकर अधिकारी बनते। यह एक सामूहिक हानि है।
छात्रा के मुताबिक, मृतकों के परिवारों को इमोशनली तो न्याय नहीं मिल पाया, लेकिन उन्हें आर्थिक रूप से न्याय मिले और वे सभी इस परिस्थिति से उबरने में सफल हो पाएंगे।