दिल्ली में जारी हिंसा को लेकर हाई कोर्ट ने सख्त रूप अख्तियार किया है। अपनी टिप्पणी में कोर्ट ने साफ किया कि दिल्ली में एक और 1984 जैसी दंगा को शहर में नहीं होने देंगे। दिल्ली हिंसा मामले में हाई कोर्ट में फिर से सुनवाई शुरू हो गई है। हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि दिल्ली में दूसरे '1984' को नहीं होने देंगे। 1984 में सिख दंगा हुआ था, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाया और बीजेपी नेताओं का वीडियो देखा गया।
दिल्ली हिंसा पर हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी पर नरेंद्र मोदी सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि डीसीपी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं, एक कांस्टेबल की जान भी जा चुकी है। पुलिस अधिकारी के सिर में चोट लगी है और वह वेंटिलेटर पर है। ऐसे में प्रशासन व सरकार क्या कदम उठा रही है?
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को शहर का दौरा करनी चाहिए। कोर्ट ने प्रभावित लोगों के मुआवजे को लेकर भी सरकार की तरफ से पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल को निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट भी सरकार को दिल्ली हिंसा मामले में लगा चुकी है फटकार-
सुप्रीम कोर्ट ने आज (26 फरवरी) नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर शाहीन बाग के विरोध प्रदर्शन पर सुनवाई को टाल दिया है। इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में जारी हिंसा को लेकर भी टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हिंसा पर पुलिस को सही समय पर कार्रवाई नहीं करने के लिए कड़ी फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को कहा है कभी-कभी आउट ऑफ द बॉक्स एक्शन लेना पड़ता है। कोर्ट ने कहा, दिल्ली पुलिस को ब्रिटिश पुलिस को देखना चाहिए...वह कैसे काम करती है।
अमेरिका और ब्रिटेन पुलिस की तरह पेश आए दिल्ली पुलिस-
न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ ने कहा कि पुलिस ने पेशेवर रवैया नहीं अपनाया। उन्होंने अमेरिका और ब्रिटेन में पुलिस का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर कुछ गलत होता है कि पुलिस को कानून के अनुसार पेशेवर तरीके से काम करना होता है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगर उकसाने वाले लोगों को पुलिस बच कर निकलने नहीं देती तो यह सब नहीं होता। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी ने भड़काउ भाषण दिया था तो उसपर उसी वक्त क्यों नहीं एक्शन लिया गया? उत्तरपूर्वी दिल्ली में सीएए को लेकर साम्प्रदायिक हिंसा में मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर बुधवार को 20 हो गई।