दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एयरफोर्स के एक खिलाड़ी द्वारा ट्रांसफर के विरोध में दर्ज की गई याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने यह आदेश उस याचिका के संबंध में दिया, जिसमें ट्रांसफर को इस आधार पर चुनौती दी थी कि चूंकि ट्रांसफर किये गये वायुसेना के सैनिक को खेल यूनिट में भर्ती किया गया था। इसलिए उसे सामान्य ड्यूटी पर नहीं भेजा जाना चाहिए।
कोर्ट ने याचिककर्ता की दलील को खारिज करते हुए कहा कि कहा कि सच्चे खिलाड़ी कभी भी हार नहीं मानते है और जनरल ड्यूटी करने से उनके क्रिकेट करियर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता की एयरफोर्स में नियुक्ति भले ही स्पोर्ट्स यूनिट के लिए की गई हो लेकिन वो हमेशा एयरपोर्ट के नियमों के अनुसार पोस्टिंग या ट्रांसफर के अधीन रहेगा।
दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस सौरभ बनर्जी की बेंच ने अपने आदेश में कहा "सच्चे खिलाड़ी कभी हार नहीं मानते हैं, इसलिए हम मानते हैं कि उनके पोस्टिंग और ट्रांसफर से स्पोर्ट्स करियर में कोई बाधा नहीं आयेगी। हमें लगता है कि उन्हें एयरफोर्स के आदेश का पालन करते हुए अपने स्पोर्ट्स करियर के लिए रास्ता निकालना होगा।"
मामले में याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से कहा कि उन्हें साल 2016 में उत्कृष्ट क्रिकेट खिलाड़ी के रूप में भारतीय वायुसेना ने चुना था। एयरफोर्स में प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्हें दिसंबर 2017 में स्पोर्ट्स ड्यूटी के लिए भारतीय वायुसेना के 3 विंग पालम स्टेशन में तैनात किया गया था।
इसके साथ ही उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि साल 2017 से 2020 के बीच वो एयरफोर्स की ओर से रणजी ट्रॉफी में खेल चुके हैं। याचिकाकर्ता ने कहा गया है कि उस दौरान वो यूनिवर्सिटी की परीक्षा में बैठने में असमर्थ रहे थे।याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि मार्च 2021 में जब उनके क्रिकेट कोच ने उन्हें दौड़ने के लिए कहा तो वह घुटने की चोट के कारण दौड़ने में असमर्थ थे। जिसे कोच ने उनकी अनुशासनहीनता मान लिया।
उस कारण साल 2018-19 में सर्वश्रेष्ठ सलामी बल्लेबाज होने के बावजूद उन्हें साल 2019-20 के रणजी मैचों के लिए नहीं चुना गया था। चूंकि उन्हें स्पोर्ट्स ड्यूटी के लिए एयरफोर्स में चुना गया था इसलिए 12 मार्च 2021 तक उन्हें किसी भी जनरल ड्यूटी से नहीं जोड़ा गया था।
लेकिन उसके बाद उन्हें पोस्टिंग आदेश के तहत लगभग साढ़े चार महीने के लिए बैंगलोर में जनरल ड्यूटी पर भेजा गया था और उसके बाद वह सितंबर 2021 में अपने मूल विभाग में वापस आ गया। उसके बाद 7 सितंबर 2021 को उन्हें फिर से आगरा में जनरल ड्यूटी के लिए दूसरी पोस्टिंग पर भेजने का आदेश हुआ, जिसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती याचिका दायर की है।
एयरफोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील के गलत ठहराते हुए कोर्ट में कहा याचिकाकर्ता चाहे स्पोर्ट्स यूनिट में ही क्यों नहीं भर्ती हुआ हो, वह सैन्य आचार संहिता से समझौता नहीं कर सकता है और सेना की आवश्यक सेवाओं से बाध्य है। इस कारण उसे जनरल ड्यूटी के लिए पोस्टिंग दी गई थी और ट्रांसफर सेवा नियमों के तहत की गई है।
इसके साथ ही एयरफोर्स ने कहा कि एक वायु योद्धा द्वारा अनुशासन और नैतिकता को तोड़े जाने के बल में गलत जाएगा और केवल स्पोर्ट्स यूनिट में नियुक्ति के आधार पर उसे अन्य पोस्टिंग में नहीं भेजा जाना, एयफोर्स को कभी भी मान्य नहीं हो सकता है।
दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि खिलाड़ी के ट्रांसफर आदेश में यह अदालत किसी भी तरह के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं समझती है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि एयरफोर्स द्वारा भर्ती किए गए याचिकाकर्ता को अपने पूरे सेवा करियर के दौरान फोर्स के आज्ञा का पालन करना ही होगा। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)