नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के साथ-साथ पूरे एनसीआर क्षेत्र में आवारा कुत्तों की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसे लेकर सरकार, स्थानीय निकाय और आम आदमी तक परेशान हैं। सरकारें समय-समय पर आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने के प्रयास भी करती हैं लेकिन फिर भी आवारा कुत्तों का संख्या में कमी नहीं आ रही है। अब दिल्ली हाइकोर्ट ने भी इस मामले पर टिप्पणी की है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और नागरिक अधिकारियों को राष्ट्रीय राजधानी में आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए प्रयास जारी रखने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश सतीश की खंडपीठ ने कहा, "उत्तरदाताओं को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाता है कि वे आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए अपने प्रयास और अभियान जारी रखें, क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक कार्य है और इसे पूरी गंभीरता से किया जाना आवश्यक है।"
अदालत ने आवारा कुत्तों की नसबंदी सुनिश्चित करने के लिए एनजीओ कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स (इंडिया) और त्रिवेणी अपार्टमेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा दायर दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत बनाए गए पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ता) नियम, 2001 का अनुपालन नहीं किया गया है। उक्त नियमों के अनुसार, अधिकारियों का कर्तव्य है कि वे आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी को कम करने के लिए नियमित रूप से उनकी नसबंदी और टीकाकरण कार्यक्रम चलाएं।
याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि वैधानिक कर्तव्यों का पालन न करने के कारण, दिल्ली में आवारा कुत्तों की आबादी में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप कुत्ते के काटने के मामलों में वृद्धि हुई है। अदालत ने दिल्ली सरकार की पशुपालन इकाई और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम द्वारा दायर हलफनामों से संतुष्टि जाहिर की। दिल्ली सरकार की तरफ से कहा गया कि अधिकारी नियमित रूप से आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण कर रहे हैं और अपने वैधानिक कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं।