नई दिल्ली: कभी सैन्य साजो सामान के लिए विदेशों पर निर्भर रहने वाले भारत ने साल 2023 में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। भारत अब हथियारों का निर्यातक बन गया है। साल 2023 में भारत ने 16 हजार करोड़ के सैन्य साजो सामान का निर्यात किया जो पिछले वित्तिय वर्ष के मुकाबले तीन हजार करोड़ ज्यादा है।
इस उपलब्धि के लिए रक्षा मंत्रालय ने 2023 को एक ऐतिहासिक वर्ष के रूप में चिह्नित किया है। इतना ही नहीं इस वित्तिय वर्ष में रक्षा उत्पादन भी बढ़कर एक लाख करोड़ का हो गया। भारत में बने सैन्य साजो सामान की मांग बढ़ रही है दुनिया के कई देश भारतीय तकनीक पर भरोसा कर कर रहे हैं। एलसीए-तेजस, हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, पिनाका रॉकेट लॉन्चर जैसे हथियारों में दुनिया के कई देशों ने रूचि दिखाई है। यही कारण है कि भारत की रक्षा क्षमताओं की वैश्विक मांग में काफी वृद्धि देखी गई।
इस साल रक्षा मंत्रालय के संचालन के मूल में सैन्य उपकरणों के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करना, सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण को आगे बढ़ाना, सीमा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, सेना में नारी शक्ति को भी सही स्थान देना और पूर्व सैनिकों का कल्याण सुनिश्चित करना था।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार भारत अब अपने रक्षा उद्योग की शक्ति का प्रदर्शन करते हुए 85 से अधिक देशों को निर्यात कर रहा है। लगभग 100 कंपनियां सक्रिय रूप से रक्षा उत्पादों का निर्यात कर रही हैं जिनमें डोर्नियर-228, 155 मिमी उन्नत टोड आर्टिलरी गन, ब्रह्मोस मिसाइल और विभिन्न अन्य उन्नत रक्षा प्रणालियां शामिल हैं।
इस साल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 'स्वावलंबन 2.0' दौरान 98 ऐसे सैन्य साजो सामान की सूची जारी की जिन्हें भारतीय हथियार उत्पादकों से ही खरीदना सुनिश्चित किया गया। इनमें अत्यधिक जटिल सिस्टम, सेंसर, हथियार और गोला-बारूद शामिल हैं।
इस साल कई नीतिगत सुधार भी देखे गए। व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देना और एमएसएमई और स्टार्ट-अप को एकीकृत किया गया। वित्त वर्ष 2023-24 में घरेलू उद्योग के लिए रक्षा पूंजी खरीद बजट का रिकॉर्ड 75 प्रतिशत, लगभग एक लाख करोड़ रुपये आवंटित किया गया था।